परिषदीय स्कूलों में विज्ञान किट खरीद के नाम पर दिए गए धन का बंदरबांट हो रहा है। अधिकारी चुप्पी साधे हैं। जबकि सभी स्कूलों के प्रबंध समिति के खाते में सितंबर में ही धन दे दिया गया था।
बेसिक शिक्षा परिषद के उच्च प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों को प्रयोगात्मक जानकारी देने के लिए शासन ने विज्ञान किट खरीद करने के निर्देश दिए थे। इसके लिए जिले के सभी 674 विद्यालयों के लिए आठ हजार रुपये प्रति विद्यालय के हिसाब से 53.92 लाख रुपये उपलब्ध कराए गए थे। विभाग ने बीते सितंबर में यह धन स्कूलों के प्रबंध समिति के खाते में भेज दिया था। अब नए शिक्षण सत्र का भी एक माह बीत गया और अभी तक यह तय नहीं हो सका कि कितने स्कूलों में विज्ञान किट खरीदी गई हैं। किट खरीद के लिए शासन की ओर से कुछ संस्थाएं अधिकृत की गई हैं, उन्हीं से प्रधानाध्यापकों को खरीद करनी है। इसकी निगरानी के लिए खंड शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए गए थे। जिले स्तर पर विज्ञान किट खरीद व्यवस्था के नोडल अधिकारी सहायक वित्त एवं लेखाधिकारी दिगंबर प्रसाद तिवारी ने बताया कि जिले के कितने विद्यालयों में खरीद हुई, ऐसा कोई विवरण उनके पास नहीं है। खंड शिक्षा अधिकारी भी इससे अंजान बने हैं। जिससे योजना को पलीता लग रहा है।
अधिकारियों की चुप्पी से खड़े हो रहे सवाल: स्कूलों में विज्ञान किट खरीद की मानीटरिंग नहीं हो रही है। अधिकारी स्कूलों का निरीक्षण कर रहे हैं। जिसमें छात्रों की उपस्थित, शिक्षकों की उपस्थित, शैक्षिक गुणवत्ता, साफ सफाई, भवन की रंगाई पुताई देखी जा रही है। किंतु विज्ञान किट के बाबत छानबीन नहीं की जा रही है। जिससे खंड शिक्षा अधिकारियों की भूमिका पर भी सवालिया निशान लग रहा है। सूत्रों के अनुसार खंड शिक्षा अधिकारियों ने एक ही संस्था से विज्ञान किट खरीदने के मौखिक निर्देश जारी किए हैं। जिससे जिले में विज्ञान किट खरीद कर बड़ा खेल किया जा रहा है।
जबकि उस संस्था द्वारा मानक के अनुसार उपकरण न दिए जाने से कई विद्यालयों के शिक्षक उपकरण नहीं खरीद रहे हैं।
इन उपकरणों की होनी है खरीद : माइक्रोस्कोप, मीटर, फिल्टर पेपर, लेंस, सीसी, लेंस सीएक्स, आईना, दिशा सूचक यंत्र, चुंबक की पट्टी, निद्र्रव बैरोमीटर आदि 36 उपकरण खरीदने जाने हैं।
No comments:
Write comments