1जागरण संवाददाता, बरेली : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में कहा है कि बेसिक स्कूलों के बच्चों के बदन पर खाकी ड्रेस शोभा नहीं देती। इसका रंग बदला जाएगा। रंग बदलने की प्रक्रिया बाद की है लेकिन पहले इसकी हकीकत जान लें। हर साल 16 करोड़ रुपये आते हैं लेकिन कमीशन के फेर में बच्चों को ऐसी ड्रेस दी गई जो दो बार धोने में ही फट जाती गई। जूते, मौजे का कुछ पता नहीं, यह बांटे ही नहीं गए हैं।1बेसिक स्कूलों में लगभग साढ़े तीन लाख बच्चे हैं। हर साल एक बच्चे के लिए सरकार 400 रुपये देती है। इस रकम से दो जोड़ी कपड़े खरीदने होते हैं। यह काम बेसिक शिक्षा विभाग ठेकेदारों से लेता है। कपड़े की गुणवत्ता का मानक उसकी मोटाई आदि सब तय है लेकिन ठेकेदार स्कूलों में कूड़े की तरह यूनीफार्म फेंक देते हैं। यूनीफार्म पर 40 फीसद तक कमीशन होता है। बमुश्किल बच्चे की यूनीफार्म पर 400 में से 160 से 180 रुपये खर्च होते हैं। आदेश ये भी हैं कि बच्चों की ड्रेस टेलर सीले ताकि उसे रोजगार मिले और बच्चे के बदन पर कपड़े फिट बैठ जाएं लेकिन ऐसा चार साल से नहीं किया गया। रेडीमेड ड्रेस बच्चों को पहनाई जा रही हैं। अभिभावकों ने शिकायतें की लेकिन सुनने वाले महकमा पहले ही गूंगा बन बैठा। 1किताबों में भी मोटा कमीशन1हर साल साढ़े तीन लाख बच्चों को मुफ्त में किताबें मिलती हैं। बरेली में 20 करोड़ रुपये से अधिक की किताबें आती हैं। नियम है कि इनकी गुणवत्ता की जांच होनी चाहिए लेकिन इसमें कागजी कोरम पूरा किया जाता है। तीन से चार लाख रुपये तक जिम्मेदारों की जेब में मानक पास करने में आते हैं। सबसे बड़ी बात तो ये है कि किताबें बच्चों को आधा शिक्षा सत्र निकलने के बाद ही मिलती हैं।
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