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Sunday, April 9, 2017

बिजनौर : योगी मंत्र’ देगा प्राइमरी शिक्षा को ‘संजीवनी’, बेसिक शिक्षा में सुधार की जगी उम्मीद


रंगरोगन के नाम पर सालाना लाखों का चूना प्राथमिक विद्यालय में पांच हजार और उच्च प्राथमिक विद्यालय में साढ़े सात हजार रुपये लेकर 10 हजार की धनराशि रंगाई-पुताई के लिए जारी होती है, किंतु विद्यालय प्रबंध समिति के खाते में भेजी जाने वाली धनराशि का कागजों पर तो हिसाब किताब पूरा हो जाता है, लेकिन हकीकत में धरातल पर कुछ दिखाई नहीं देता।
देर से आना और जल्दी जाना इन विद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए सबसे ज्यादा शिक्षक-शिक्षिकाओं की उपस्थित पर जोर दिया जाता है, लेकिन व्यवस्था नहीं बदली। जो शिक्षक-शिक्षिकाएं नियमित रूप विद्यालय आते थे वह आज भी आ रहे है। वहीं जुगाड़ के बूते उत्तराखंड की सीमा पर सटे गांवों के परिषदीय स्कूलों में तैनात शिक्षकों की विद्यालयों में उपस्थिति यदाकदा रहती है। कई विद्यालयों में कागजों पर मिड्डे मील, दूध और फल बच्चे खाते हैं, लेकिन विद्यालयों में नजर नहीं आते हैं।

देर से आना और जल्दी जाना बना शिक्षकों की आदत, गंदगी का लगा अंबार,

समाज की नींव कही जाने वाली प्राइमरी शिक्षा अव्यवस्थाओं के मकड़जाल में फंसी हुई है। शिक्षा विभाग के पास ना तो संसाधनों की कमी है और ना ही इंतजाम की, फिर भी हालत सुधरने का नाम नहीं ले रहे। योगी सरकार के आने के बाद से बेसिक शिक्षा में सुधार की आस लगी है।

बेसिक शिक्षा विभाग को सलाना करोड़ों रुपये का बजट गुणवत्तापूर्ण शिक्षा समेत विद्यालयों में संसाधन और अन्य व्यवस्था पर खर्च होता है। किंतु जमीनी हकीकत कुछ और है। ना विद्यालय सुधर पाए और ना ही शिक्षा व्यवस्था। वहीं बच्चों का मिड्डे मील का स्वाद भी नहीं सुधरा। अब तो सिफऱ् योगी सरकर से ही बेसिक शिक्षा में चमत्कार की आस जगी है।

कागजों पर रविवार विशेष हकीकत में कुछ और

कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों पर तो हमेशा से जोर दिया गया है। विद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और छात्रओं के बौद्धिक विकास पर पानी की तरह पैसा बहाया जाता, लेकिन यह सब कागजों तक ही सीमित होकर रह जाता। इन बालिकाओं को अभी कुछ दिन पूर्व बालिकाओं को मिड् डे मील में हर रविवार को विशेष खाना खिलाने का आदेश दिया गया था, जिसमें सुबह दूध, अंडा, केला, पूड़ी-सब्जी, नाश्ते में दोपहर को दाल, सब्जी, रोटी, मौसमी सब्जियां, चावल, सलाद, रायता के साथ रसगुल्ला या कालाजाम तो शाम को चाय के साथ मौसमी फलों की चाट या अन्य और रात के खाने में मिक्स बेज, कोफ्ता, दाल-चावल आदि का इंतजाम किया गया।
वही हर रविवार को बदल-बदल कर विशेष खाना दिया जाना था, लेकिन यह सब भी कागजों तक सीमित होकर रह गया। हैडपंप पर जमा गंदगी’

जागरणनांगलसोती में स्थित परिषदीय स्कूल के बाहर गंदगी’ जागरणबेसिक शिक्षा में सुधार का पूरा प्रयास हो रहा है। शासन की मंशा का पालन कराया जा रहा है। जो भी खामी है उसे दूर कराया जाएगा और बच्चों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा दिलाई जाएगी।  ईश्क लाल , खंड शिक्षा अधिकारी

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