शिक्षा निदेशक (उच्च शिक्षा) ने सभी प्राचार्यो को भेजा पत्र
इलाहाबाद। प्रदेश सरकार की भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम की जद में शिक्षक व कर्मचारी तक आ गए हैं। अब शिक्षक व कर्मचारियों को भी अपनी चल व अचल संपत्ति का ब्योरा सार्वजनिक करना होगा। शिक्षा निदेशक (उच्च शिक्षा) डॉ. आरपी सिंह ने सभी प्राचार्यो को पत्र भेजकर विवरण उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। यह समय सीमा छह अप्रैल को खत्म हो रही है, लेकिन महाविद्यालयों में इधर अवकाश होने के कारण इसे कुछ दिन और बढ़ाया जाएगा।
सूबे की नई सरकार का जोर सरकारी कार्यालयों को स्वच्छ रखने पर है। यह स्वच्छता अंदर और बाहर दोनों ओर से रखने की हिदायत दी गई है यानी अधिकारी कर्मचारी पान व गुटखा खाकर या फिर फाइलें आदि बिखेर कर गंदगी न फैलाएं। साथ ही कामकाज में किसी तरह का भ्रष्टाचार न हो। मुख्यमंत्री ने इसके लिए सबसे े सभी मंत्रियों और प्रशासनिक अधिकारियों को निर्देश दिया था कि वह अपनी संपत्ति का ब्योरा अपने विभाग को प्रमुख को सौंप दें। यह आदेश लगातार विस्तार लेता जा रहा है। प्रदेश के शिक्षा निदेशक (उच्च शिक्षा) डॉ. आरपी सिंह ने सभी राजकीय और अशासकीय महाविद्यालयों के प्राचार्यो को पत्र भेजकर अधिकारियों व कर्मचारियों से विवरण मांगा है।
पत्र में यह भी लिखा है कि उप्र सरकारी कर्मचारी आचरण नियमावली 1956 के नियम 24 के तहत हर सरकारी कर्मचारी को अपनी चल-अचल संपत्ति का विवरण देने का निर्देश है। उसी के तहत रिपोर्ट मांगी गई है। उच्च शिक्षा निदेशालय से सभी कॉलेजों को इस संबंध में प्रारूप भी भेजा गया है। उसी पर छह अप्रैल तक अनिवार्य रूप से विवरण देने का निर्देश है। इस आदेश की जद में राजकीय कॉलेजों के करीब 2200 शिक्षक व अशासकीय कॉलेजों के लगभग पांच हजार शिक्षक आएंगे। यह भी निर्देश है कि जिन अधिकारी व कर्मचारियों ने समय से विवरण नहीं दिया उनके संबंध में सुसंगत नियमों के अधीन कार्रवाई भी होगी।
महाविद्यालयों में ड्रेस कोड : प्रदेश के राजकीय, अशासकीय और स्ववित्तपोषित महाविद्यालयों में ड्रेस कोड लागू हो गया है। उच्च शिक्षा निदेशालय की ओर से सभी प्राचार्यो को आदेश दिया है कि सभी शिक्षक ऐसी वेशभूषा में आएं, ताकि उसका सकारात्मक असर छात्र-छात्रओं में पड़े। पुरुष शिक्षक पैंट-शर्ट और महिला शिक्षिकाएं साड़ी में ही आएं।
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