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Wednesday, April 5, 2017

बरेली : परिषदीय विद्यालयों में न बिजली न शौचालय, बेहाल शिक्षा व्यवस्था के सुधार को करनी होगी बड़ी पहल

बरेली : किराये के विद्यालयों का बुरा हाल।शहर में 42 विद्यालय किराये के भवनों में चल रहे हैं। यह जर्जर अवस्था में हैं। बारिश में पानी टपकता है जिससे बच्चों की जान पर खतरा बना रहता है। इन विद्यालयों में कोई सुविधा नहीं है। न पानी न शौचालय। बिजली का कोई प्रबंध नहीं है। यहां के बच्चे गर्मियों में पसीना बहाते हैं। इस बारे में आज तक अधिकारियों ने कोई फैसला नहीं लिया लेकिन अब सीएम के फैसले के बाद कुछ सुधार हो सकता है।

शौचालय बंद पड़े1सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन के अनुसार, शौचालय, पानी व बिजली हर विद्यालय में होनी चाहिए। कागजों में बच्चों को यह सुविधाएं मिल रही हैं लेकिन 30 फीसद बच्चे ऐसे हैं जो घरों से पानी की बोतल भरकर लाते हैं। इसके अलावा बच्चों को शौच जाना है तो वह घर के लिए दौड़ लगाते हैं। विभाग के दस फीसद से अधिक विद्यालय ऐसे हैं जिनके पानी के टैंक ही नहीं हैं। शौचालय का टैंक फुल हैं। इसके अलावा सीट की सफाई भी नहीं होती जबकि हर साल फिनायल व स्कूल की सफाई पर खर्च दिखाया जा रहा है।

जनपद में बेहाल शिक्षा व्यवस्था के सुधार को करनी होगी बड़ी पहल, सीएम ने दिए हैं सुधार के निर्देश
जागरण संवाददाता, बरेली : सीएम योगी आदित्यनाथ ने शिक्षा व्यवस्था को पटरी पर लाने का रास्ता दिखाया है लेकिन बरेली में अधिक मेहनत करनी होगी। यहां न बच्चों को शिक्षा मिल पा रही है और न ही सुविधाएं। एक ही बिंदु लें सुविधाओं का तो बच्चे हर बार की तरह इस बार भी गर्मियों में पसीना बहाएंगे। यह तब है जब सरकार ने स्कूलों में बिजली कनेक्शन कराने को रकम भेज दी है लेकिन अफसरों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। कारण साफ है, वह खुद एसी की हवा ले रहे हैं। इस कारण उन्हें अहसास ही नहीं हो रहा कि बच्चे गर्मी में स्कूल में कैसे रह रहे होंगे। 1बरेली में स्कूलों की संख्या 2892 है। इनमें 2098 प्राथमिक विद्यालय और 794 उच्च प्राथमिक स्कूल हैं। वर्ष 2007 में मायावती सरकार ने स्कूलों में विद्युतीकरण योजना शुरू की थी। एक स्कूल को इसके लिए 27500 रुपये दिए गए। इसमें बिजली की फिटिंग, दो शिक्षण कक्षों के लिए पंखे व तीन ट्यूबलाइट थीं। योजना शुरू हुए दस साल बीत गए लेकिन विद्यालयों में शत प्रतिशत विद्युतीकरण का काम पूरा नहीं हो सका। विभाग के आंकड़ों को देखें तो दिसंबर, 2016 में 1162 विद्यालयों में विद्युतीकरण के लिए रकम आई थी। विभाग का तर्क है कि रकम बिजली कनेक्शन के लिए बिजली विभाग को भेज दी गई लेकिन कनेक्शन हुए या नहीं, इसकी जानकारी विभाग को नहीं है। हालांकि उपभोग प्रमाण पत्र ब्लाकों से मंगवाने के दावे जरूर किए जा रहे हैं। इसके अलावा बड़ी बात ये है कि सौ से अधिक विद्यालय ब्लाकों में ऐसे हैं, जहां फिटिंग नहीं हो पाई है। जहां हुई तो वहां उखड़ भी गई। पंखे शिक्षकों या प्रधानाध्यापकों के घरों पर हवा दे रहे हैं। इसकी जानकारी विभाग के जिम्मेदार लोगों को है लेकिन कार्रवाई के नाम पर कुछ भी नहीं किया गया।’>>100 से अधिक ऐसे विद्यालय जहां नहीं हो पाई फिटिंग1’>>कई विद्यालयों में गायब हैं पंखे तो कहीं वायरिंग भी नहीं हुई1’>>पंखे लगे भी तो कुछ बाद पहुंच गए मास्टर जी के घर1चुनाव से पहले 1162 विद्यालयों में बिजली कनेक्शन के लिए रकम संबंधित विभाग को दी गई थी। उसकी रिपोर्ट मंगवाई जा रही है। जल्द ही काम पूरा हो जाएगा। शौचालयों की सफाई करवाने के आदेश जारी किए गए हैं

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