महराजगंज : प्रदेश में नई सरकार द्वारा बगैर मान्यता के चल रहे निजी स्कूलों पर सख्ती के बावजूद तराई के इस जिले में बिना मान्यता वाले निजी स्कूल संचालक बेखौफ स्कूल चला रहे है और अभिभावकों का जमकर शोषण करते हुए बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहे है। हालांकि शासन के निर्देश पर अब तक सिर्फ 13 विद्यालयों की जांच कराई गई है। इसमें से आठ विद्यालय बिना मान्यता के चलते मिले। इनके खिलाफ नोटिस जारी कर चुप्पी साध ली गई। स्कूलों को बंद नहीं कराया गया। निजी स्कूल संचालक स्कूलों के लिए सरकार द्वारा निर्धारित मानकों को धता बताते हुए हर स्तर पर नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं। ऐसे स्कूल संचालक न तो सरकार द्वारा निर्धारित बिलिंग कोड का पालन कर रहे है न अग्नि शमन विभाग के नियमों का। इसके साथ ही यहां पर बच्चों को पढ़ाने के लिए प्रशिक्षित स्टाफ की व्यवस्था न करने के साथ ही मनमानी फीस वसूल रहे है। मान्यता हाई स्कूल की है और कक्षाएं इंटर तक चल रही है। मान्यता आठ तक हैं और पढ़ाई कक्षा 10 तक हाोरही है। ऐसे स्कूल संचालक टाई, बेल्ट और किताबों के नाम पर आर्थिक शोषण कर रहे है। अभिभावकों का कहना है कि जो किताबे पढ़ाई भी नहीं जाती है उन्हें अपने कमीशन के चक्कर में वह भी खरीदने को विवश किया जाता हैं। कापियों के नाम पर भी अधिक कीमत वसूली जा रही है। आम तौर पर बाजार में 10 रुपये में मिलने वाली कापी पर जब स्कूल का नाम छप जाता है तो वहीं कापी अभिभावकों को 15 रुपये में खरीदनी पड़ रही है। करीब 20 से 25 रुपये का टाई, बैल्ट, डायरी व बेज का सेट 50 से 100 रुपये तक में बेचा जाता है। अंग्रेजी माध्यम के नाम पर अधिक शुल्क वाले ऐसे स्कूल संचालकों के विरुद्ध अब शासन ने कडा रुख अपनाया है तो दूसरी ओर अभिभावकों का शोषण करने में निजी स्कूल भी पीछे नहीं हैं। किताबों से लेकर सभी स्कूल सामग्री अभिभावकों का आर्थिक शोषण कर रहे है। मान्यता के समय शिक्षा विभाग ने जो शर्ते लगाई थी , उन शर्तो का भी अधिकतर स्कूल संचालक पालन नही कर रहे हैं । यही नहीं पांचवें तक की मान्यता लेकर जूनियर तक और जूनियर की मान्यता लेकर इंटर तक की कक्षाएं डेढ़ दर्जन स्कूलों में बेखौफ संचालित की जा रही हैं। देखना है शिक्षा विभाग के अधिकारी ऐसे स्कूल संचालकों के खिलाफ कब तक कार्रवाई करेंगे या नई सरकार के अभिभावकों को राहत दिलाने की मंशा को पहले की तरह पलीता लगाएंगे।
No comments:
Write comments