परिषदीय स्कूलों में अगर लगातार सात दिन तक हैंडपंप खराब रहा तो ग्राम पंचायत अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी। शासन ने इस संबंध आदेश जारी कर दिए हैं।
पहले परिषदीय स्कूलों में हैंडपंप लगवाने, मरम्मत कराने, री-बोर कराने की जिम्मेदारी बीएसए कार्यालय की थी। अब यह जिम्मेदारी प्रधानों को सौंप दी गई है। प्रधानों को 14वें वित्त आयोग की धनराशि से स्कूलों में हैंडपंप लगवाने, मरम्मत कराने को कहा गया है। अगर इसमें ग्राम पंचायत अधिकारी मनमानी, लेट-लतीफी करता है, हैंडपंप को खराब हुए सात दिन हो जाएं तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। स्कूलों में पेयजल व्यवस्था पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता है। क्योंकि स्कूलों में पेयजल की व्यवस्था नहीं होगी तो अभिभावक अपने बच्चों को पढ़ने को नहीं भेजेंगे। इस संबंध में राज्य परियोजना निदेशक डॉ.वेदपति मिश्र ने मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक, बीएसए आदि को आदेश दिए हैं। जिले में करीब 2900 परिषदीय स्कूल हैं, इनमें से करीब एक हजार स्कूलों में हैंडपंप खराब पड़े हैं, उन्हें री-बोर की दरकार है या फिर फिर मरम्मत की। इस संबंध में उक्त स्कूलों के प्रधानाध्यापकों द्वारा बीएसए कार्यालय को पत्र सौंपे गए हैं। बेसिक शिक्षा के सहायक निदेशक गिर्जेश चौधरी का कहना है कि स्कूलों में पेयजल को हैंडपंपों का ठीक होना अति आवश्यक है। संबंधित आदेश से सभी स्कूलों को अवगत कराया जा रहा है। ताकि वह इस संबंध में प्रधान और ग्राम पंचायत अधिकारी से संपर्क कर सकें
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