बेसिक शिक्षा विभाग घर पर सिलाई करने वाली ग्रामीण महिलाओं को अस्थाई रोजगार देगा। उनसे परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्र-छात्रओं को वितरित होने वाली यूनिफॉर्म सिलवाई जाएंगी। जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार आएगा, साथ ही विद्यालयों में यूनिफार्म की गुणवत्ता अच्छी होगी। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी की ओर से सभी खंड शिक्षा अधिकारियों को निर्देशित किया है। इच्छुक महिलाएं बीएसए कार्यालय में संपर्क कर सकती हैं।
प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्र-छात्रओं को हर सत्र में दो जोड़ी यूनिफार्म दिए जाने का प्रावधान है। यूनिफार्म को लेकर चले रहे खेल को बंद करने के लिए शासन ने यूनिफार्म का रंग तो बदला ही है, साथ ही नए सत्र से पहले ही तैयारियां पूरी करने का निर्देश दिया है। जिसके आधार पर जिले भर के विकास क्षेत्रों में विद्यालय प्रबंध समिति, प्रधानाध्यापक की बैठक कर क्रय समिति बनाने को लेकर चर्चा की जा रही है। कच्चे धागे से सिलाई होने की वजह से यूनिफार्म जल्द उधड़ जाती है। जिससे बच्चों को उचित लाभ नहीं मिल पाता। तो माफिया भी मशीनों से सिलाई कराकर खराब गुणवत्ता का धागा प्रयोग कराते हैं। गुणवत्ता को लेकर सुधार को बीएसए ने नया तरीका इजाद किया है। जिससे ग्रामीणों को अस्थाई रोजगार मिलेगा। गांवों में घर पर लोगों के कपड़े सिलने वाली महिलाओं को भी जिम्मेदारी दी जाएगी। एनजीओ से सिलाई का प्रशिक्षण प्राप्त करने वाली महिलाओं को भी वरीयता दी जाएगी। अवकाश के दौरान प्रधानाध्यापक विद्यालय में पढ़ने वाले सभी छात्र-छात्रओं का नाप दिलाएंगे और नया सत्र शुरू होते ही सिलाई का कार्य पूरा किया जाएगा। 15 जुलाई तक सभी बालिकाओं व बीपीएल के छात्रों को यूनिफार्म का वितरण कर दिया जाएगा।यूनिफार्म का काम बड़े स्तर पर होगा। सिलाई में धागे की गुणवत्ता खराब होने की वजह से यूनिफार्म बहुत जल्द उधड़ जाती थी। साथ ही सिलाई का कार्य जल्द पूरा कराया जाना है। जिसके चलते सिलाई करने वाली महिलाओं को जिम्मेदारी दी जा रही है। इससे उनको अस्थाई रोजगार तो मिलेगा, आर्थिक स्थिति भी सुधर जाएगी।
प्रेमचंद यादव, बीएसए
गांवों में सिलाई करने वाली महिलाओं को भी दी जाएगी जिम्मेदारी
अवकाश के दिनों में प्रधानाध्यापक छात्र-छात्रओं का नाप लेंगे
No comments:
Write comments