लखनऊ (डीएनएन)। अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में अब शिक्षकों एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारियों से समय से विद्यालय आना होगा। साथ ही निर्धारित समय के बाद ही विद्यालय से जाना भी होगा। इसके लिए इन विद्यालयों में बायोमेट्रिक उपस्थिति लगेगी। शासन के आदेश के बाद माध्यमिक शिक्षा निदेशक अमर नाथ वर्मा ने जिला विद्यालय निरीक्षकों को निर्देश जारी कर दिए हैं।राजधानी में कुल 108 अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालय संचालित हैं। कई बार अफसरों के निरीक्षण में देखने को मिला है कि शिक्षक व शिक्षणेत्तर कर्मचारी समय से विद्यालय में नहीं आते-जाते हैं। इससे शिक्षण कार्य भी प्रभावित होता है। चूंकि इनमें शिक्षकों एवं शिक्षणेत्तर कर्मचरियों की उपस्थिति विद्यालय के रजिस्टर में लगती है। लिहाजा मनमाने तरीके से उपस्थिति का खेल चलता है। लेकिन अब इस पर रोक लगाने की तैयारी शुरू हो गई है। शासन ने निर्देश दिए हैं कि ऐसे सभी विद्यालयों में शिक्षकों एवं कर्मचारियों की बायोमैट्रिक उपस्थिति की व्यवस्था सुनिश्चित कराई जाए। उन्होंने इस व्यवस्था को प्रभावी ढंग से लागू करने करने के भी सख्त निर्देश दिए हैं।
शासन ने बायोमैट्रिक उपस्थिति की व्यवस्था सुनिश्चित कराने के निर्देश जारी करने के साथ ही यह भी कहा है कि इसके लिए जो भी व्ययभार आएगा। वह संस्था अपने निजी स्त्रोतों से वहन करेगी। साथ ही भविष्य में इसके लिए शासकीय धनराशि की मांग नहीं की जाएगी।एडेड माध्यमिक विद्यालयों में बायोमेट्रिक उपस्थिति का उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ ने कड़ा विरोध किया है। उनका कहना है कि शिक्षक पढ़े-लिखे होते हैं न कि बंधुवा मजदूर जो बायोमेट्रिक उपस्थिति लगाएंगे। रही बात, खुद इस व्यवस्था का खर्च उठाने की तो विद्यालयों में कक्षा एक से आठ तक निशुल्क शिक्षा है। बच्चों से कोई पैसा नहीं लिया जाता। साथ ही विद्यालयों में कोई धनराशि भी अलग से नहीं मिलती है। स्थिति यह है कि चाक- डेस्टर की व्यवस्था भी नहीं हो पा रही है। कक्षा एक से आठ निशल्क शिक्षा कर दी। बंधुवा मजदूर नहीं है। कहीं कोई शिकायत है तो प्रिंसिपल व मैनेजर की है।
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