संवाद सहयोगी, हाथरस : बेसिक शिक्षा विभाग के विद्यालयों में तैनात चार समायोजित शिक्षिकाओं के प्रमाण पत्र सत्यापन में फर्जी पाए जाने पर उन्हें बर्खास्त कर दिया गया है। क्षेत्रीय सचिव और यूपी बोर्ड के मेरठ कार्यालय ने सत्यापन रिपोर्ट में एक शिक्षिका तो हाईस्कूल फेल है। बीएसए रेखा सुमन का कहना है कि नोटिस के बाद चारों की सेवा समाप्त कर दी गई है। संबंधित खंड शिक्षा अधिकारियों को रिपोर्ट दर्ज कराने के निर्देश भी दिए गए हैं। 1वर्ष 2015 में विद्यालयों में तैनात प्रशिक्षित शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक का दर्जा दिया गया था। मुकलेश कुमारी पुत्री जाहर सिंह निवासी सीसराम पुवैना की तैनाती शिक्षामित्र के पद पर हाथरस ब्लाक के प्राथमिक विद्यालय भोपतपुर में थी। समायोजन के बाद इन्हें इसी ब्लाक के प्राथमिक विद्यालय मिर्जापुर में तैनाती दी गई। काउंसिलिंग में शिक्षिका ने हाईस्कूल वर्ष 1990 में 479 अंकों के साथ पास करने का प्रमाण पत्र लगाया था। इंटर वर्ष 1993 में पास होना दर्शाया था। सत्यापन में जन्मतिथि और अंकों में भिन्नता पाई गई। 1सादाबाद क्षेत्र के गांव मोनिया निवासी अंजू कुमारी पुत्री रमेशचंद्र की तैनाती प्राथमिक विद्यालय मडनई में थी। समायोजन के बाद सादाबाद ब्लाक में प्राथमिक विद्यालय चमरपुरा में तैनाती मिली। इंटरमीडिएट की परीक्षा वर्ष 1998 में 354 अंक के साथ प्रथम श्रेणी में पास होना दर्शाया था। अब सत्यापन में प्राप्तांक व डिवीजन में अंतर है। 1रेखा चौधरी पुत्री सूरजभान निवासी लोकेरा, सादाबाद गांव के ही प्राथमिक विद्यालय में शिक्षामित्र थी। समायोजन के बाद इसी विद्यालय में तैनाती मिल गई। इंटरमीडिएट वर्ष 1998 में प्रथम श्रेणी में पास होना दर्शाया गया था, जबकि सत्यापन में प्राप्तांक व श्रेणी में भिन्नता मिली है।1गीता शर्मा पुत्री ओमप्रकाश शर्मा निवासी नीति निवास, तसींगा की तैनाती प्राथमिक विद्यालय नगला गूलर में थी। समायोजन के बाद तैनाती निचलाबास में हुई थी। काउंसिलिंग के समय लगाए गए प्रमाण पत्रों के मुताबिक वर्ष 1994 में हाईस्कूल की परीक्षा में 600 से में 300 अंक दर्शाए हैं, जबकि सत्यापन रिपोर्ट में शिक्षिका हाईस्कूल फेल है।’>>मेरठ बोर्ड ने जारी की प्रमाण पत्रों की सत्यापन रिपोर्ट, एक हाईस्कूल फेल1’>>नोटिस के बाद अब बीएसए ने चारों शिक्षिकाओं की सेवाएं समाप्त कीं 1झूठ की बुनियाद पर नौकरी पाने वाले गुरुओं ने सरकार के बुनियादी शिक्षा दिलाने के बड़े-बड़े दावों को तहस-नहस कर दिया है। बड़ा सवाल शिक्षा से जुड़ी व्यवस्थाओं पर भी है कि वे बच्चों का भविष्य संवारना तो दूर उनके लिए योग्य शिक्षक का चयन तक नहीं कर सकते। हाथरस में बर्खास्त की गईं चार शिक्षिकाओं में एक तो एक तो हाईस्कूल फेल है। ऐसे में हम किस आधार पर बच्चों के अच्छे भविष्य की कल्पना करें। यह पहली बार नहीं है जब ऐसे फर्जी शिक्षकों पर गाज गिरी हो। हाथरस जिले में तत्कालीन बीएसए देवेंद्र गुप्ता के कार्यकाल में ऐसे मामले उजागर हो चुके हैं। चार वर्ष पहले भी आधा दर्जन शिक्षकों पर गाज गिरी थी, लेकिन गंभीरता के अभाव में इन्हें संरक्षण मिलता जा रहा है।
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