सरकार ने अनुसूचित जनजाति वर्ग के बच्चों के लिए शिक्षा के ज्यादा अवसर उपलब्ध कराने के लिए अगले पांच वर्षों के दौरान 672 प्रखंडों में एकलव्य आवासीय विद्यालय खोलने की योजना तैयार की है। जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने यहां बताया कि एकलव्य आवासीय विद्यालय ऐसे क्षेत्रों में खोले जाएगें, जहां कुल आबादी में अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगों की तादाद 50 प्रतिशत से ज्यादा है।सूत्रों ने बताया कि इस तरह के विद्यालय परिसर की स्थापना पर 12 करोड़ रपए की लागत आने का अनुमान है, जिसमें छात्रावास एवं कर्मचारी आवास भी होंगे। पहाड़ी क्षेत्रों, रेगिस्तान एवं द्वीपों में इस तरह के परिसर की स्थापना के लिए 16 करोड़ रुपये तक का प्रावधान किया गया है। इन विद्यालयों में पहले साल प्रति विद्यार्थी 42,000 रुपये खर्च होंगे। हर दूसरे वर्ष में 10 प्रतिशत की वृद्धि करने का प्रावधान है, ताकि महंगाई इत्यादि की भरपाई की जा सके। संबंधित अधिकारियों के अनुसार 26 राज्यों में स्थित 161 एकलव्य आवासीय विद्यालय में 52 हजार से भी ज्यादा आदिवासी विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। इन विद्यालयों में परीक्षाओं के नतीजे जनजातीय क्षेत्रों में मौजूद अन्य सरकारी विद्यालयों की तुलना में आम तौर पर बेहतर रहते हैं। इनमें कक्षा 10वीं एवं 12वीं की परीक्षा पास करने वाले विद्यार्थियों का औसत आंकड़ा 90 प्रतिशत से भी ज्यादा है। (वार्ता)
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