इलाहाबाद : यूपी बोर्ड में आधार छात्र-छात्रओं की पहचान ही नहीं बताएगा, बल्कि फर्जीवाड़े पर प्रभावी अंकुश भी लगाएगा। हाईस्कूल व इंटर परीक्षा 2017 में तमाम ऐसे विद्यालयों का परिणाम शून्य हो गया है, जहां इकाई में ही छात्र-छात्रएं पंजीकृत थे। ऐसे स्कूलों पर आधार से प्रभावी रोक लग सकेगी, क्योंकि विद्यालय संचालक यूं ही किसी को भी छात्र-छात्र बनाकर पंजीकृत नहीं करा पाएंगे।
माध्यमिक शिक्षा परिषद यानी यूपी बोर्ड में नए शैक्षिक सत्र से छात्र-छात्रओं के पंजीकरण में आधार को अनिवार्य किया गया है। यूपी बोर्ड का आइटी सेल पिछले कई वर्षो से फर्जी छात्र-छात्रओं को रोकने के लिए तमाम तरह के प्रयास कर रहा था और उसमें काफी हद तक उसे सफलता भी मिली है लेकिन, आधार अनिवार्य करने से फर्जीवाड़े पर पूरी तरह से विराम लगना लगभग तय है। नए सत्र में छात्र-छात्रओं की संख्या में कमी भी आ सकती है। वहीं, सूबे में तमाम ऐसे भी विद्यालय हैं जो अपनी मान्यता बनाए रखने के लिए हर साल कुछ छात्र-छात्रओं को अपने यहां पंजीकृत करा देते थे। इस बार से ऐसा करना आसान नहीं होगा।
राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के कथित विद्यालयों को छोड़ दें तो प्रदेश में कई ऐसे विद्यालय 2017 की परीक्षा में सामने आए हैं, जहां गिने-चुने छात्र-छात्रएं पंजीकृत थे वह परीक्षा में शामिल हुए भी या नहीं यह स्पष्ट नहीं है। यूपी बोर्ड ने सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों को स्पष्ट निर्देश भेज दिए हैं कि हर छात्र-छात्र का आधार नंबर पंजीकरण कराते समय दर्ज करें वरना पंजीकरण पूर्ण नहीं माना जाएगा। शासन इस पर पहले ही मुहर लगा चुका है।
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