माध्यमिक शिक्षा महकमे के फेरबदल में अफसरों की चरित्र पंजिका देखी जा रही है लेकिन, वरिष्ठ अफसरों का प्रमोशन आंख मूंदकर किया जा रहा है। पिछले दिनों मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक यानी जेडी की डीपीसी का औपचारिक पत्र अब तक जारी नहीं हो सका है, क्योंकि पांच अफसरों के प्रमोशन में एक दागी की भी पदोन्नति का प्रस्ताव है। इसकी शासन तक शिकायत हो चुकी है और अब अगले सप्ताह फिर शिकायत करने की तैयारी है किस तरह से आरोपी अफसरों को गले लगाया जा रहा है।
माध्यमिक शिक्षा महकमे में प्रमोशन और फेरबदल की सूची बनाने की प्रक्रिया एक साथ चल रही है। इसमें विभागीय अफसर अपनों को पदोन्नति देने और चहेतों को सही स्थानों पर नियुक्ति दिलाने की प्रक्रिया में जुटे हैं। पिछले दिनों शासन स्तर पर जेडी की पदोन्नति हुई है। छह पदों के सापेक्ष पांच को पदोन्नत करने की तैयारी है। इसमें दो अफसरों अनिल भूषण चतुर्वेदी और ओम प्रकाश द्विवेदी का नाम सूची से जानबूझकर बाहर कर दिया गया। कहा गया कि उन पर पुरानी जांच लंबित है, जबकि दोनों अफसर शासन को प्रत्यावेदन दे चुके हैं। नियमानुसार यदि किसी मामले में प्रत्यावेदन दिया जा चुका हो तो उसे अफसर को डीपीसी से वंचित नहीं किया जा सकता। पदोन्नति सूची से इन दो अफसरों का हटना इसलिए जरूरी था क्योंकि विभागीय ‘बड़े’ अफसर को अपने करीबी अफसर को पदोन्नति देनी थी।
इसीलिए सूची में पहले तीन नाम संतराम सोनी, संजय यादव व सुरेंद्र तिवारी के बाद अजय कुमार द्विवेदी और फिर अरविंद पांडेय को पदोन्नति सूची में शामिल किया गया। इसमें अरविंद कुमार पांडेय पर आरोप है कि उन्होंने बस्ती मंडल का जेडी रहने के दौरान संस्कृत माध्यमिक विद्यालय में एक शिक्षिका की नियुक्ति में अनियमितता की है। इस संबंध में बीते 11 मई को ही शासन से अरविंद पांडेय को कारण बताओ नोटिस जारी हुआ है। इसके पहले माध्यमिक शिक्षा के प्रमुख सचिव जितेंद्र कुमार ने भी चयन पर सवाल खड़े किये हैं। इतना ही नहीं इलाहाबाद हाईकोर्ट के स्टैंडिंग काउंसिल उपेंद्र सिंह ने भी कड़ी टिप्पणी की है। यह प्रकरण अभी खत्म नहीं हुआ है फिर भी अफसरों ने उनकी पदोन्नति के लिए नियमों को किनारे कर दिया। दो दिन पहले शासन में इसकी शिकायत हुई तो हलचल मच गई। इसका यह असर रहा कि जेडी की पदोन्नति सूची जारी नहीं हो रही है। अगले सप्ताह नए सिरे से उप मुख्यमंत्री व शासन में फिर शिकायत होना है।
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