जागरण संवाददाता, कानपुर : पहली जुलाई से शुरू होने जा रहे उप्र. माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) के कालेजों के लाखों विद्यार्थियों को इस बार लगभग 95 दिन की पढ़ाई में छमाही और सात माह की तैयारी में बोर्ड परीक्षा देनी होगी। शिक्षकों को पूरे कोर्स की तैयारी कराने में अतिरिक्त श्रम तो करना ही होगा तो परीक्षार्थियों को भी अधिक मेहनत करनी होगी, नहीं तो रिजल्ट गिरना तय है।
यह विसंगति विधानसभा चुनाव के चलते 2017 के शैक्षिक सत्र की बोर्ड परीक्षाओं के लगभग एक माह विलंब से होने से उत्पन्न हुई है। परीक्षा विलंब से होने का ही नतीजा है जो शैक्षिक सत्र पहली अप्रैल से शुरू होना चाहिए था, वह पहली जुलाई से शुरू हो पा रहा है।
बोर्ड के ताजे शैक्षिक पंचांग में कक्षा 6 से12 तक की छमाही परीक्षा नवंबर में कराने की व्यवस्था है। यदि कालेज दस नवंबर से भी परीक्षा शुरू कराएं तो पहली जुलाई से 9 नवंबर तक पढ़ाई के कुल 95 दिन अर्थात लगभग तीन माह ही बनते हैं। उधर बोर्ड परीक्षा फरवरी में होनी है। यदि बोर्ड परीक्षा 11 फरवरी से हो तो छमाही परीक्षा के बाद बोर्ड परीक्षार्थियों को तैयारी के लिए कुल 55 दिन भी नहीं मिलेंगे।
इस बीच पढ़ाई से इतर कार्य : बोर्ड के शैक्षिक पंचांग के मुताबिक जुलाई से नवंबर में परीक्षा शुरू होने तक कई पाठ्येत्तर गतिविधियां भी होनी हैं, जिसमें छात्रों व शिक्षकों को पढ़ना पढ़ाना छोड़ कर भाग लेना होगा।
इनमें स्वतंत्रता दिवस समारोह की तैयारी, खेलकूद, साहित्यिक, स्काउट गाइड टीमों का गठन, शिक्षक दिवस व संचायिका दिवस के आयोजन, विज्ञान प्रदर्शनी, खेलकूद, सांस्कृतिक व स्काउट गाइड के कालेज व जनपदीय स्तर के आयोजन आदि। वहीं, छमाही परीक्षा के बाद फरवरी तक शैक्षिक पंचांग के अनुसार बोर्ड की प्रैक्टिकल परीक्षा, वार्षिकोत्सव, एक मासिक परीक्षा, पत्रिका प्रकाशन व गणतंत्र दिवस समारोह का आयोजन होना है।
2017 की बोर्ड परीक्षा में विलंब से पैदा हुई विसंगति कोर्स पूरा कराने में होगी दिक्कत गिर सकता रिजल्ट110 नवंबर से छमाही परीक्षा हो तो..छमाही परीक्षा के बाद पढ़ाईनया शैक्षिक सत्र विद्यार्थियों व शिक्षकों के लिए चुनौती भरा है। एक-एक मिनट का सदुपयोग करने के साथ अतिरिक्त कक्षाएं लगानी होंगी। लापरवाही हुई तो रिजल्ट गिरेगा। -डॉ. वेदानंद त्रिपाठी, प्रदेश संरक्षक प्रधानाचार्य परिषद उप्र।
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