महराजगंज : सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद प्रदेश के शिक्षामित्रों और उनके परिवार के हक में भाजपा सरकार सार्थक प्रयास करे। यह बातें सपा जिलाध्यक्ष राजेश यादव ने प्रेस विज्ञप्ति में कहीं। उन्होंने कहा कि शिक्षामित्रों की इतनी बड़ी तादात व उनके आश्रितों के भविष्य के प्रति अगर प्रदेश सरकार जरा भी संवदेनशीलता दिखाई होती और न्यायालय में लंबित मुकदमें की पैरवी ठीक ढंग से की होती तो शायद शिक्षामित्रों को यह दिन नहीं देखना पड़ता। उन्होंने कहा कि शिक्षामित्रों के इस दुख की घड़ी में समाजवादी पार्टी उनके साथ है और उनके हर शांतिपूर्ण संघर्ष को अपना नैतिक व भौतिक समर्थन देने के प्रति प्रतिबद्ध है। जिलाध्यक्ष ने मांग की कि शिक्षामित्रों के मामले में सर्वोच्च न्यायालय में पुनर्विचार याचिका तत्काल प्रस्तुत कराएं तथा दृढ़तापूर्वक उसकी पैरवी कराएं। शिक्षामित्रों के समायोजन में केरल सरकार के फामरूले का अनुसरण करके समस्या को भीषण होने तथा शिक्षामित्रों के भविष्य को बर्बाद होने से बचाया जाए।
समायोजन रद किए जाने के फैसले के बाद जिला मुख्यालय पर शांतिपूर्ण ढंग से किया जा रहा शिक्षामित्रों का शनिवार को चौथे दिन भी जारी रहा। शिक्षामित्रों ने जहां अपने भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए नया अध्यादेश लाने की मांग की वहीं अपनी मांगों से संबंधित व मुख्यमंत्री को प्रेषित पांच सूत्रीय ज्ञापन जिला प्रशासन को सौंपा। धरने को संबोधित करते हुए उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के जिला संरक्षक सनंदन पांडेय ने कहा कि समायोजन रद्द होने से शिक्षामित्रों का भविष्य अंधकारमय हो गया है। लगभग 16 वर्ष तक प्राथमिक विद्यालयों में सेवा देने के बाद सुप्रीम कोर्ट से आए निर्णय ने उनकी परेशानियों को बढ़ा दिया है। बहुत से ऐसे भी शिक्षामित्र हैं जिनकी उम्र अधिक है तथा अब उनके पास कोई विकल्प नहीं बचा है। जिलाध्यक्ष राधेश्याम गुप्ता ने कहा कि उन्हें सरकार से यही उम्मीद है कि प्रदेश में प्राथमिक शिक्षा की स्थिति और उसके सुधार में योगदान देने वाले शिक्षामित्रों के प्रति वह सकारात्मक रूख अपनाते हुए काम करें। सरकार को शिक्षामित्रों के हितों को ध्यान में रखते हुए अतिशीघ्र नया अध्यादेश लाकर कार्य करना चाहिए। धरने को वरिष्ठ उपाध्यक्ष गोपाल यादव, जिला महामंत्री शैलेंद्र नायक, जिला कोषाध्यक्ष ओमप्रकाश त्रिपाठी ने भी संबोधित किया। जिला प्रशासन को सौंपे अपने पांच सूत्रीय ज्ञापन में संघ ने सरकार द्वारा पुर्नविचार याचिका दाखिल कराने और उसके निर्णित होने पर शिक्षामित्रों को अपने समायोजित पद पर कार्य करने देने, शासन द्वारा शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक पद पर बनाए रखने के लिए नया अध्यादेश बनाए जाने, विकल्प के तौर पर समस्त शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक के समकक्ष वेतनमान पर शिक्षा सहायक पद पर समायोजित किए जाने तथा संगठन के प्रतिनिधि मंडल से वार्ता के लिए समय प्रदान करने की मांग की। इस दौरान सूर्यभान उपाध्याय, उदयराज यादव, महेंद्र वर्मा, परवेज खां, अनिल गुप्ता, विष्णु प्रसाद, मनोज सिंह, कृष्णचंद सिंह, संतोष तिवारी, अरूण पटेल, राजकुमार पटेल, राजेशधर द्विवेदी, रमाकांती त्रिपाठी समेत काफी संख्या में पुरुष व महिला शिक्षामित्र मौजूद रहे।
पूर्व माध्यमिक शिक्षक संघ ने भी किया शिक्षामित्रों को समर्थन :
पूर्व माध्यमिक शिक्षक संघ ने भी शिक्षामित्रों के धरने का समर्थन किया है। जिलाध्यक्ष संजय मणि त्रिपाठी ने कहा कि 16 वर्ष से नौनिहालों का भविष्य संवारने वाले शिक्षामित्रों का भविष्य अब सरकार के हाथ में है। प्रदेश सरकार इनकी जीविका की व्यवस्था करे। फैसले के बाद शिक्षामित्र आहत होकर जान दे रहे हैं, सरकार इस मामले में अविलंब निर्णय लें। महामंत्री उपेंद्र पांडेय ने कहा कि केंद्र व प्रदेश सरकार को प्रदेश के एक लाख 72 हजार शिक्षामित्रों को देखते हुए अविलंब फैसला लेते हुए उन्हें बेघर होने से बचाना होगा। शिक्षामित्र भी धैर्य बनाए रखते हुए कार्य करें।
शिक्षामित्रों के स्कूल न जाने से पनियरा क्षेत्र के चार स्कूलों पर अभी भी ताला लटका हुआ है। स्कूल बंद होने से चारों विद्यालय के कुल 278 बच्चों का भविष्य अधर में है। समायोजन रद्द हो जाने का फैसला आने के बाद ही जिले के प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ाने वाले शिक्षामित्र 26 जुलाई से आंदोलन में जुटे हुए हैं तथा अपने तैनाती स्थल पर पढ़ाने नहीं जा रहे हैं। पनियरा क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय हुड़री रामनगर, प्राथमिक विद्यालय रेहार, प्राथमिक विद्यालय पासी टोला जर्दी तथा प्राथमिक विद्यालय भलुआन में ताला लटका हुआ है। अपने भविष्य को लेकर जहां शिक्षामित्र आंदोलन में जुटे हैं, वहीं पनियरा क्षेत्र के उपरोक्त चार विद्यालयों में नामांकित 278 बच्चों का भविष्य भी अधर में लटका हुआ है। स्कूल के बंद होने से पठन-पाठन का कार्य नहीं हो पा रहा है। बंद पड़े प्राथमिक स्कूल हुड़री में सुनीता सैनी व योगेंद्र वर्मा, रेहार में सुदामा व बृजकिशोर, पासी टोला जर्दी में महिमा त्रिपाठी व धूपचरन प्रसाद गुप्ता तथा भलुआन में शशिबाला सिंह व हरिगोविंद पांडेय शिक्षामित्र से समायोजित शिक्षक पद पर तैनात थे। फैसला आने के बाद संघ के आह्वान पर उन्होंने विद्यालय जाना बंद कर दिया लिहाजा चारों स्कूल पर ताला लटका है। बच्चों के परिजन यह सोचकर परेशान हैं कि उनके नौनिहालों को अब शिक्षा कौन देगा। बीआरसी के सह समन्वयक रामसुंदर गुप्ता ने कहा कि बंद स्कूलों को सोमवार से चलवाया जाएगा। आस-पास के स्कूलों के शिक्षकों को वहां भेजकर शिक्षा देने का कार्य होगा। सदर ब्लाक के प्राथमिक विद्यालय जगपुर बैरियहवा, प्राथमिक विद्यालय पिपरा व प्राथमिक विद्यालय वनटांगिया उसरहवा में तैनात शिक्षामित्र समायोजित शिक्षक के रूप में तैनात थे। उनके स्कूल न जाने से वहां भी ताला लटकने की सूचना थी। सदर के वरिष्ठ सह समन्वयक रेयाज अहमद ने बताया कि तीनों विद्यालय पर एक-एक शिक्षक को भेजकर बच्चों को शिक्षित कराने का कार्य किया जा रहा है।
समायोजन रद किए जाने के फैसले के बाद जिला मुख्यालय पर शांतिपूर्ण ढंग से किया जा रहा शिक्षामित्रों का शनिवार को चौथे दिन भी जारी रहा। शिक्षामित्रों ने जहां अपने भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए नया अध्यादेश लाने की मांग की वहीं अपनी मांगों से संबंधित व मुख्यमंत्री को प्रेषित पांच सूत्रीय ज्ञापन जिला प्रशासन को सौंपा। धरने को संबोधित करते हुए उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के जिला संरक्षक सनंदन पांडेय ने कहा कि समायोजन रद्द होने से शिक्षामित्रों का भविष्य अंधकारमय हो गया है। लगभग 16 वर्ष तक प्राथमिक विद्यालयों में सेवा देने के बाद सुप्रीम कोर्ट से आए निर्णय ने उनकी परेशानियों को बढ़ा दिया है। बहुत से ऐसे भी शिक्षामित्र हैं जिनकी उम्र अधिक है तथा अब उनके पास कोई विकल्प नहीं बचा है। जिलाध्यक्ष राधेश्याम गुप्ता ने कहा कि उन्हें सरकार से यही उम्मीद है कि प्रदेश में प्राथमिक शिक्षा की स्थिति और उसके सुधार में योगदान देने वाले शिक्षामित्रों के प्रति वह सकारात्मक रूख अपनाते हुए काम करें। सरकार को शिक्षामित्रों के हितों को ध्यान में रखते हुए अतिशीघ्र नया अध्यादेश लाकर कार्य करना चाहिए। धरने को वरिष्ठ उपाध्यक्ष गोपाल यादव, जिला महामंत्री शैलेंद्र नायक, जिला कोषाध्यक्ष ओमप्रकाश त्रिपाठी ने भी संबोधित किया। जिला प्रशासन को सौंपे अपने पांच सूत्रीय ज्ञापन में संघ ने सरकार द्वारा पुर्नविचार याचिका दाखिल कराने और उसके निर्णित होने पर शिक्षामित्रों को अपने समायोजित पद पर कार्य करने देने, शासन द्वारा शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक पद पर बनाए रखने के लिए नया अध्यादेश बनाए जाने, विकल्प के तौर पर समस्त शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक के समकक्ष वेतनमान पर शिक्षा सहायक पद पर समायोजित किए जाने तथा संगठन के प्रतिनिधि मंडल से वार्ता के लिए समय प्रदान करने की मांग की। इस दौरान सूर्यभान उपाध्याय, उदयराज यादव, महेंद्र वर्मा, परवेज खां, अनिल गुप्ता, विष्णु प्रसाद, मनोज सिंह, कृष्णचंद सिंह, संतोष तिवारी, अरूण पटेल, राजकुमार पटेल, राजेशधर द्विवेदी, रमाकांती त्रिपाठी समेत काफी संख्या में पुरुष व महिला शिक्षामित्र मौजूद रहे।
पूर्व माध्यमिक शिक्षक संघ ने भी किया शिक्षामित्रों को समर्थन :
पूर्व माध्यमिक शिक्षक संघ ने भी शिक्षामित्रों के धरने का समर्थन किया है। जिलाध्यक्ष संजय मणि त्रिपाठी ने कहा कि 16 वर्ष से नौनिहालों का भविष्य संवारने वाले शिक्षामित्रों का भविष्य अब सरकार के हाथ में है। प्रदेश सरकार इनकी जीविका की व्यवस्था करे। फैसले के बाद शिक्षामित्र आहत होकर जान दे रहे हैं, सरकार इस मामले में अविलंब निर्णय लें। महामंत्री उपेंद्र पांडेय ने कहा कि केंद्र व प्रदेश सरकार को प्रदेश के एक लाख 72 हजार शिक्षामित्रों को देखते हुए अविलंब फैसला लेते हुए उन्हें बेघर होने से बचाना होगा। शिक्षामित्र भी धैर्य बनाए रखते हुए कार्य करें।
शिक्षामित्रों के स्कूल न जाने से पनियरा क्षेत्र के चार स्कूलों पर अभी भी ताला लटका हुआ है। स्कूल बंद होने से चारों विद्यालय के कुल 278 बच्चों का भविष्य अधर में है। समायोजन रद्द हो जाने का फैसला आने के बाद ही जिले के प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ाने वाले शिक्षामित्र 26 जुलाई से आंदोलन में जुटे हुए हैं तथा अपने तैनाती स्थल पर पढ़ाने नहीं जा रहे हैं। पनियरा क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय हुड़री रामनगर, प्राथमिक विद्यालय रेहार, प्राथमिक विद्यालय पासी टोला जर्दी तथा प्राथमिक विद्यालय भलुआन में ताला लटका हुआ है। अपने भविष्य को लेकर जहां शिक्षामित्र आंदोलन में जुटे हैं, वहीं पनियरा क्षेत्र के उपरोक्त चार विद्यालयों में नामांकित 278 बच्चों का भविष्य भी अधर में लटका हुआ है। स्कूल के बंद होने से पठन-पाठन का कार्य नहीं हो पा रहा है। बंद पड़े प्राथमिक स्कूल हुड़री में सुनीता सैनी व योगेंद्र वर्मा, रेहार में सुदामा व बृजकिशोर, पासी टोला जर्दी में महिमा त्रिपाठी व धूपचरन प्रसाद गुप्ता तथा भलुआन में शशिबाला सिंह व हरिगोविंद पांडेय शिक्षामित्र से समायोजित शिक्षक पद पर तैनात थे। फैसला आने के बाद संघ के आह्वान पर उन्होंने विद्यालय जाना बंद कर दिया लिहाजा चारों स्कूल पर ताला लटका है। बच्चों के परिजन यह सोचकर परेशान हैं कि उनके नौनिहालों को अब शिक्षा कौन देगा। बीआरसी के सह समन्वयक रामसुंदर गुप्ता ने कहा कि बंद स्कूलों को सोमवार से चलवाया जाएगा। आस-पास के स्कूलों के शिक्षकों को वहां भेजकर शिक्षा देने का कार्य होगा। सदर ब्लाक के प्राथमिक विद्यालय जगपुर बैरियहवा, प्राथमिक विद्यालय पिपरा व प्राथमिक विद्यालय वनटांगिया उसरहवा में तैनात शिक्षामित्र समायोजित शिक्षक के रूप में तैनात थे। उनके स्कूल न जाने से वहां भी ताला लटकने की सूचना थी। सदर के वरिष्ठ सह समन्वयक रेयाज अहमद ने बताया कि तीनों विद्यालय पर एक-एक शिक्षक को भेजकर बच्चों को शिक्षित कराने का कार्य किया जा रहा है।
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