प्रशांत गौड़’ बरेली 1परिषदीय स्कूलों में बच्चों को घर जैसा खाना मिल सकेगा। ऐसा इसलिए क्योंकि उन्हें घर पर खाना देने वाली मां ही पहले खाना चखेगी और उसकी गुणवत्ता जांचने के बाद ही बेटे को खाने देगी। शासन के निर्देश पर माता अभिभावकों के समूह का गठन किया गया है, जिससे मासूमों को अपनी मां के हाथ जैसा खाना स्कूल में भी मिल सकेगा। ये समूह नए सत्र से एमडीएम की गुणवत्ता की जांच करेगा। 1अभी तक टॉस्क फोर्स व अन्य विभागीय जांच समितियां एमडीएम की जांच करती थी। विद्यालय के प्रधानाध्यापक भी चखकर गुणवत्ता की परख करते थे। नमूना संग्रहित करके विद्यायल में रखते थे, लेकिन बच्चों को गुणवत्ता परक मध्यावकाश भोजन नहीं मिलने की शिकायतें लगातार आती रही। प्रदेश में सरकार बदलते ही अब एमडीएम की गुणवत्ता सुधार की ओर कदम उठने शुरू हो गए हैं। शासन ने बेसिक शिक्षा विभाग को इस संबंध में कड़े निर्देश जारी किए हैं। इस पर विभाग ने एमडीएम गुणवत्ता की जांच को अब माता अभिभावकों को भी जिम्मेदारी दे दी है।1 विभागीय अधिकारियों के अनुसार, स्कूलवार माता अभिभावकों के समूह बनाए गए हैं। स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की 6 माता अभिभावक एक समूह में शामिल की गई है। ये माता अभिभावक स्कूल में पहुंचेंगी और मिड-डे-मील मैन्यू के अनुसार समय पर वितरण, गुणवत्ता आदि की जांच करेंगी। खराब गुणवत्ता पर विभाग को अवगत कराएंगी। विभागीय अधिकारी माता अभिभावकों की रिपोर्ट के आधार पर एमडीएम वितरण करने वाली संस्थाओं के खिलाफ कार्रवाई करेंगे। 1नए सत्र में स्कूलों में एमडीएम गुणवत्ता की जांच माता अभिभावक भी करेंगी। शासन के निर्देश पर प्रत्येक स्कूल में माता अभिभावकों के समूह का गठन कर दिया है। जुलाई में स्कूल खुलने पर यह समूह अपनी जिम्मेदारी का निवर्हन करेगा। 1चंदना राम इकबाल यादव, बीएसए
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