जागरण संवाददाता, आजमगढ़ : सुप्रीम कोर्ट द्वारा शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द करने के बाद आक्रोश कम करने के लिए शासन ने पहल करनी शुरू कर दी है। शासन के निर्देश पर सभी खंड शिक्षा अधिकारियों को आदेश से अवगत करा दिया गया है कि वह अपने क्षेत्र के शिक्षामित्रों को निर्धारित स्कूलों में पढ़ाने का निर्देश दें। शिक्षामित्रों पर अग्रिम आदेश पर उचित निर्णय लिया जाएगा। इसलिए शिक्षामित्र छात्रों को पहले की तरह शिक्षा दें। चेताया कि आंदोलन पर उतारू शिक्षामित्र सरकार के अग्रिम आदेश के लाभ से वंचित हो जाएंगे।
जनपद में कुल 3384 शिक्षामित्र तैनात हैं। इसमें से 2200 शिक्षामित्रों का समायोजन कर वर्ष 2015 से ही सहायक अध्यापक बना दिया गया। यह जनपद के विभिन्न प्राथमिक विद्यालयों पर तैनात भी कर दिए गए थे। यही नहीं शिक्षामित्रों को बकायदा वेतन भी मिल रहा था। सातवें वेतन का लाभ भी पा रहे थे। बुधवार की सुबह सुप्रीम कोर्ट द्वारा उनके समायोजन रद किए जाने की सूचना मिली तो उनमें उबाल आ गया। शिक्षामित्र जिला मुख्यालय स्थित कुंवर सिंह उद्यान में उसी दिन से धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। यहां तक शिक्षा मित्र इच्छामृत्यु तक की बात कह चुके हैं। शनिवार को भी शिक्षकों का धरना प्रदर्शन कुंवर सिंह उद्यान में जारी रहा। दूसरी तरफ अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा का आदेश बेसिक शिक्षाधिकारी अशोक कुमार के यहां पहुंच गया है। जनपद के खंड शिक्षा अधिकारियों को उन्होंने आदेश से अवगत करा दिया। आदेश में कहा गया है कि शिक्षामित्र हर हाल में जहां तैनात हैं वहां अपनी ड्यूटी करें। उनके लिए प्रदेश सरकार पूरी तरह से पहल कर रही हैं। उनके साथ हर हाल में न्याय किया जाएगा। ऐसे में वह छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ न करें। समायोजित शिक्षामित्रों के अचानक आंदोलन की वजह से प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ाई व्यवस्था चरमरा गई है। बीएसए ने कहा कि शिक्षामित्र आंदोलन को छोड़कर अपने-अपने विद्यालयों में पठन-पाठन का कार्य शुरू कर दें। ड्यूटी न करने वाले शिक्षामित्रों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी।
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