भाजपा सरकार ने परिषदीय विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए समय से ड्रेस, बैग और पुस्तकें उपलब्ध कराने का दावा किया था, लेकिन सहजनवां ब्लाक में वह फेल होता दिख रहा है। ब्लाक के अधिकांश परिषदीय विद्यालयों के बच्चों में अभी तक किसी सामान का वितरण ही नहीं किया गया है। जुलाई माह खत्म होने के बाद भी बच्चों को ड्रेस, बैग और किताब का इंतजार है। शिक्षा व्यवस्था भगवान भरोसे चल रही है। बावजूद इसके शिक्षा विभाग के अफसर लापरवाह बने हुए हैं।
ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान सरकार के जिम्मेदार दावा कर रहे थे कि विद्यालय जुलाई माह में खुलते ही बच्चों को ड्रेस, बैग तथा पुस्तकें समय से उपलब्ध करा दी जाएंगी। सरकार को राजनीतिक कारण से बैग को भी बदलना मजबूरी बन गई थी लेकिन सबसे महत्वपूर्ण काम किताबों को समय से छात्रों को मिलना चाहिए था मगर वह भी नहीं मिला। अभी तक छात्रों के अनुपात में प्राथमिक से लेकर उच्च प्राथमिक विद्यालय के छात्रों के लिए जो पुस्तकें आईं हैं वह सिर्फ नाम मात्र की है। इसी प्रकार ड्रेस का पैसा सिर्फ उच्च प्राथमिक विद्यालयों के लिए आया है। बैग का भी अता-पता नहीं है। बताते हैं कि नई सरकार ने छात्रों की शुरुआती संख्या के नियमों में परिवर्तन किया है। पहले नए शिक्षण सत्र के लिए 30 सितंबर तक की संख्या मानी जाती थी लेकिन नई सरकार ने 30 अप्रैल तक को माना है। विद्यालय के जिम्मेदारों के सामने व्यवहारिक कठिनाई आ रही है कि जिन छात्रों का प्रवेश अप्रैल के बाद हुआ है उनको ड्रेस सहित अन्य चीजों का आवंटन कैसे किया जाएगा? इसके अलावा ड्रेस का प्रति छात्र/छात्र 400 रुपये निर्धारित है लेकिन पहली किश्त तीन सौ ही मिलेगी, जबकि एक सौ रुपया गुणवत्ता की जांच के बाद दिया जाएगा। बीईओ संध्या चतुर्वेदी ने स्वीकार किया कि किताब बहुत कम मात्र में आई है। बैग अभी नहीं आया है। ड्रेस का पैसा छात्र संख्या के अनुपात में कम आया है, जिससे खड़ी हो रही है
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