★ सरकार ने 15 सितंबर तक शिक्षक, छात्र और जमीन आदि का मांगा ब्योरा
★ जीपीएस से भी कनेक्ट करने की कवायद, पोर्टल पर सूचना न देने वालों पर शिकंजा कसेगा
बरेली : स्वतंत्रता दिवस समारोह और राष्ट्रगान की वीडियोग्राफी कराने के बाद योगी सरकार ने मदरसों को लेकर एक और बड़ा फैसला किया है। 15 सितंबर तक मदरसों में पढ़ने वाले छात्रों, शिक्षक, जमीन आदि का ब्योरा मांगा है। हालांकि, सरकार के इस फैसले पर मदरसा संचालकों ने नाराजगी जतानी शुरू कर दी है।
■ इसलिए आए दायरे में : दरअसल, पिछले दिनों प्रदेश सरकार ने सभी शिक्षण संस्थाओं का पंजीकरण अनिवार्य कर दिया है। उसी के तहत मदरसों को दायरे में लाया गया है। उन्हें भी रजिस्ट्रेशन कराना होगा। इसके लिए मदरसा पोर्टल शुरू किया गया है, जिस पर संचालकों को मदरसे की जमीन, भवन, कक्ष, खाली स्थान, पार्क, कंप्यूटर लैब, शिक्षक एवं छात्र संख्या, मान्यता समेत कई बिंदुओं की जानकारी अपलोड करनी होगी। 15 सितंबर तक का समय दिया गया है। निर्धारित समय में पोर्टल पर जानकारी नहीं देने वाले मदरसों के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।
प्रदेश सरकार ने मंगलवार को इस बाबत सभी जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों को जारी कर दिए। फैसले के मुताबिक, ब्योरा अपलोड होने के बाद प्रदेश के सभी मदरसों को ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम (जीपीएस) से भी कनेक्ट किया जाएगा। उसके जरिये मदरसों में शिक्षण कार्यो के साथ अन्य गतिविधियों पर भी निगाह रखने की तैयारी है।
■ हंिदूी में होंगी मदरसों की तख्तियां : मदरसों में शिक्षक, कक्षा और मदरसों के नाम के बोर्ड अभी तक उर्दू और अंग्रेजी में होते थे। हालांकि, कुछ मदरसों में हंिदूी में भी लिखा होता था। अब उनके नाम के बोर्ड से लेकर शिक्षक और कक्षाओं की तख्तियां भी उर्दू के साथ हंिदूी में लिखने का दिया है।
■ एक महीने में चार फरमान : सरकार मदरसों को लेकर एक महीने में चार फरमान जारी कर चुकी है। सबसे पहले पंद्रह अगस्त को राष्ट्रगान की वीडियोग्राफी, पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन, फिर ऊर्दू के साथ हंिदूी में तख्ती लिखने का और अब संपत्ति का ब्योरा मांगा गया है। मदरसों से संबंधित मिला है। 15 सितंबर तक सभी संचालकों को जानकारी देने को कह दिया गया है। -जगमोहन, अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी, बरेली
◆ मदरसों को शक की नजर से देखा जा रहा है। लोकतंत्रिक देश में बार-बार आने वाले फरमान भेदभाव की भावना पैदा कर रहे हैं जो अच्छे समाज के लिए बेहतर नहीं। अगर यह सही सोच है, तो उच्च, माध्यमिक, बेसिक में भी यही तौर तरीके अपनाए जाए। सिर्फ मदरसों के लिए यह ठीक नहीं। -मौलाना शहाबुद्दीन रजवी, महासचिव, जमात रजा-ए-मुस्तफा
◆ शासन की तरफ से पोर्टल पर मान्यता, जमीन, कक्ष आदि का ब्योरा मांगा गया है। यह जानकारी दी जा रही है। बार-बार आने वाले नए फरमान से काफी परेशानी हो रही है। -सय्यद आसिफ अली, सचिव, मदरसा जामिया रजविया नूरिया, बाकरगंज
◆ विकास के नाम पर लोगों ने वोट दिया। उससे यह सरकार बनी। उस पर ध्यान दिया जाएगा। सभी को बराबर माना जाए। सिर्फ मदरसों के लिए बार-बार कानून बनाना सही नहीं है। - मुफ्ती सय्यद कफील हाशमी, सदर दारूल इफ्ता, मंजरे इस्लाम दरगाह आला हजरत
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