मां तो ऐसी नहीं होती है, उसे तो बच्चों की पढ़ाई और सेहत का पूरा ख्याल रहता है। बेसिक शिक्षा विभाग ने भी इसी का फायदा उठाने के लिए परिषदीय विद्यालयों में माताओं का हस्तक्षेप बढ़ाया था। मां समूह का गठन कराया गया और फिर उनसे सीधे संपर्क करने के लिए मोबाइल नंबर मांगे गए थे। मंशा थी कि शासन स्तर से सीधे उनसे बात कर विद्यालयों की जानकारी ले ली जाएगी, लेकिन कारण जो भी रहा हो, माताओं ने इसमें कोई रुचि नहीं ली और दूरी बनाए रखी।
हालत यह हुई कि 19 विकास खंड और नगर क्षेत्र में से मात्र कुछ ही विकास खंडों से मां समूह के मोबाइल नंबर जुटाए जा सके हैं।
परिषदीय विद्यालयों में सीधे अभिभावकों का हस्तक्षेप बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। विद्यालय प्रबंध समितियों को पहले से ही कमान सौंपी जा चुकी है। वहीं पूर्व से ही व्यवस्था बनाई गई थी कि रोस्टर के अनुसार माताएं विद्यालयों में जाएं और फिर बच्चों का मिड-डे मील चखने के बाद अपने सामने वितरण कराएं। इस व्यवस्था को नया रूप देने के लिए विद्यालयों में मां समूह का गठन कराया गया था। जिसमें विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों की छह जागरूक माताओं को शामिल किया गया था।
व्यवस्था बनाई गई थी कि माताएं शिक्षा से लेकर मिड-डे मील पर पूरी नजर रखें। हालांकि किसी तरह मां समूह का गठन तो कर लिया गया लेकिन फिर शासन स्तर से समूह में शामिल माताओं के मोबाइल नंबर और उनका विवरण भी मांगा गया था, जोकि पूरी तरह से फ्लाप हो गया। अधिकारियों का कहना है कि प्रधानाध्यापकों के माध्यम से मां समूह की महिलाओं के मोबाइल नंबर मांगे गए थे लेकिन उन लोगों ने देने से मना कर दिया।
अब बच्चों की पढ़ाई और खाने पर नजर रखने की व्यवस्था से माताएं क्यों दूर भाग रही हैं यह तो जिम्मेदार ही जानते होंगे लेकिन शासन की मंशा का पालन नहीं हो पाया है। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी मसीहुज्जमा सिद्दीकी का कहना है खंड शिक्षा अधिकारियों से विवरण मांगा गया था। कहां का नहीं आया इसकी जानकारी लेकर उनसे भी विवरण तलब किया जाएगा।तो पोल खुलने के डर से बनाया जा रहा बहाना मां समूह की महिलाओं का मोबाइल नंबर के मामले में अधिकारियों का कहना है कि कोई मोबाइल नंबर दे ही नहीं रहा है लेकिन जानकार इसके पीछे कुछ और ही कहानी बता रहे हैं। उन लोगों का कहना है कि शासन स्तर से फरमान पर मां समूह का गठन तो कर लिया गया लेकिन अधिकांश स्थानों पर यह कागजों में हुआ है।
किसी तरह नाम भेज दिए गए हैं अब अगर उनका मोबाइल नंबर दे दिया गया तो पोल खुल जाएगी इसी लिए जानबूझ कर मोबाइल नंबर नहीं जुटाए जा रहे हैं और बहाना बनाया जा रहा है।
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