बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय अपने ही जाल में बुरी तरह से फंस गया है। इलाहाबाद नगर क्षेत्र में तैनात सहायक अध्यापिकाओं को चयन वेतनमान देने में गड़बड़ी सामने आने के बाद बेसिक शिक्षा अधिकारी ने तीन सहायक अध्यापिकाओं को दिया गया चयन वेतनमान का लाभ निरस्त कर दिया। अब बेसिक शिक्षा अधिकारी ने सचिव बेसिक शिक्षा परिषद से चयन वेतनमान के संबंध में मार्गदर्शन मांगा है।
बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय ने ग्रामीण क्षेत्र से पदोन्नति छोड़कर नगर क्षेत्र में आने वाली तीन सहायक अध्यापिकाओं को 10 वर्ष की सेवा के बाद चयन वेतनमान दे दिया पर नगर क्षेत्र में करीब 50 ऐसी शिक्षिकाएं हैं, जिन्हें चयन वेतनमान का लाभ अब तक नहीं दिया गया। इन शिक्षिकाओं ने दो सालों में व्यक्तिगत व सामूहिक रूप से कई बार विभाग को प्रत्यावेदन दिया पर हर बार विभागीय अधिकारी उनके प्रत्यावेदनों पर मौखिक रूप से यह कह कर टाल देते हैं कि ऐसा कोई शासनादेश नहीं है। जिन शिक्षिकाओं ने पदोन्नति छोड़ी है उन्हें चयन वेतनमान नहीं दिया जा सकता।
चयन वेतनमान व पदोन्नत वेतनमान के मामले में माध्यमिक और बेसिक दोनों के शिक्षकों पर 20 दिसंबर 2001 का शासनादेश प्रभावी है। इसमें कहीं नहीं लिखा है कि पदोन्नति न लेने वाले शिक्षक को चयन वेतनमान या पदोन्नत वेतनमान का लाभ नहीं दिया जाना चाहिए। यदि इसके पूर्व किसी शासनादेश में कोई बात कही गई हो तो वह नन एंड वैलिड है। 1माध्यमिक शिक्षक संघ (ठकुराई गुट) के प्रदेश महामंत्री लालमणि द्विवेदी कहते हैं बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय ने पहले तो नियमों की जानकारी के बिना 50 शिक्षिकाओं के चयन वेतनमान का लाभ दो साल तक रोके रखा, फिर बिना नियमों की सही जानकारी किए तीन अध्यापिकाओं को चयन वेतनमान का लाभ दे देता है और फिर निरस्त भी कर देता है। यानी सबकुछ हवा में चल रहा है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है।’>>तीन सहायक अध्यापिकाओं का चयन वेतनमान निरस्त किया
प्रत्यावेदन के पौने दो साल बाद अब परिषद से मांगेंगे मार्गदर्शनतीन सहायक अध्यापिकाओं प्राथमिक विद्यालय स्टैनली रोड अनीता सोनकर, प्राथमिक विद्यालय पीएसी नैनी नीरजा शुक्ला व प्राथमिक विद्यालय अलोपीबाग ममता श्रीवास्तव को दिया गया चयन वेतनमान निरस्त कर दिया गया है। आगे की कार्रवाई के लिए सचिव बेसिक शिक्षा परिषद से इस मामले में मार्गदर्शन मांगा गया है। -संजय कुशवाहा, बेसिक शिक्षा अधिकारी, इलाहाबाद
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