ग्राम्य विकास आयुक्त पार्थसारथी सेन शर्मा के फर्जी हस्ताक्षर से एक शासनादेश गुरुवार को जारी हुआ। इस शासनादेश के माध्यम से रोजगार सेवकों के बारे में भ्रम फैलाने की कोशिश की गई है। व्हाट्सऐप ग्रुपों में यह मैसेज चलाया गया है।
पत्र में लिखा गया है कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण गारंटी योजना के तहत ग्राम रोजगार सेवकों की नियुक्ति वर्ष 2006-07 में की गई थी। तब उनके साथ अनुबंध किया गया था कि उनकी सेवाएं एक वर्ष या अधिकतम तीन वर्ष के लिए हैं। इसके बाद उनकी संविदा स्वत: समाप्त हो जाएगी। आगे लिखा है कि कार्यालय के पत्र दिनांक 20 अप्रैल 2010 के माध्यम से मनरेगा के तहत ग्राम रोजगार सेवकों की संविदा समाप्त की गई थी। यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू हो। पत्र पर आयुक्त ग्राम विकास का फर्जी हस्ताक्षर 28 सितंबर 2017 की तिथि के साथ है। 'हिन्दुस्तान' ने जब इसकी पुष्टि की तो आयुक्त ग्राम्य विकास पार्थसारथी सेन शर्मा ने इस पत्र को पूरी तरह फर्जी है।
साभार : हिन्दुस्तान
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