यह पहली बार नहीं है जब माध्यमिक स्कूलों को दिए जाने वाले शिक्षक पुरस्कार को लेकर विवाद खड़े हुए हैं। प्रदेश में इन पुरस्कारों के लिए खूब खेल हुआ है। निर्धारित व्यवस्था के तहत किसी भी प्राइवेट स्कूल के शिक्षक को पुरस्कार नहीं दिया जा सकता है। शिक्षक विधायक उमेश द्विवेदी की मानें तो, सरकार और शासन निजी स्कूल के गुरुजनों को अंशकालिक शिक्षक मानता है। लेकिन, वर्ष 2006 में लखनऊ पब्लिक स्कूल सेक्टर आई की ¨प्रसिपल मंजुला खरे का पुरस्कार दिया गया। माध्यमिक शिक्षक संघ का आरोप है कि तत्कालीन निदेशक संजय मोहन के सहयोग से पुरस्कार मिला। इसी तरह, वर्ष 2015 में लखनऊ की एक शिक्षिका वंदना तिवारी को पुरस्कार दिए जाने पर भी संगठन सवाल खड़े कर चुका है।
लखनऊ : माध्यमिक शिक्षक संघ शर्मा गुट शुक्रवार को राज्य शिक्षक पुरस्कार के विरोध में उतर आया है। माध्यमिक विद्यालय के शिक्षकों को पुरस्कार दिए जाने में धांधली के आरोप लगाए गए हैं। आरोप है कि एमडी शुक्ला इंटर कॉलेज के ¨प्रसिपल को गलत ढंग से पुरस्कार दिया गया है। संगठन की ओर से आंदोलन की घोषणा की गई है। आगामी पांच सितम्बर को माध्यमिक शिक्षक संघ लखनऊ के जिला कार्यालय-उदयाचल (क्वींस कालेज कैम्पस) बालाकदर रोड में सिर के बालों का मुण्डन करवा कर विरोध प्रदर्शन करेंगे। इस पूरे प्रकरण में शिक्षा निदेशक माध्यमिक की भूमिका पर भी सवाल खड़े किए गए हैं। निदेशक पुरस्कार चयन समिति के अध्यक्ष थे। आरोप है कि इन्होंने लाखों रुपये की वसूली कर साक्षात्कार के आधार पर पुरस्कार बांटे हैं। आरोप से इनकार : एमडी शुक्ला इंटर कॉलेज के ¨प्रसिपल डॉ. एचएन उपाध्याय ने इस सभी आरोपों को गलत बताया। कहा कुछ लोग उनके पुरस्कार को निशाना बना रहे हैं। सिर्फ इसीलिए यह विवाद खड़ा किया जा रहा है।
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