उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा है कि प्रदेश के स्कूलों में एनसीईआरटी पैटर्न पर पढ़ाई होगी। सिलेबस तैयार हो रहा है। इसमें, 20 से 30 प्रतिशत पाठ्यक्रम प्रदेश से जुड़ी आवश्यक चीजों पर आधारित होगा। वह गुरुवार को रानी लक्ष्मीबाई सीनियर सेकंडरी स्कूल के ऑडिटोरियम में स्वच्छता, सुरक्षा और शिक्षा में गुणवत्ता मुद्दे पर आयोजित गोष्ठी में बोल रहे थे। गोष्ठी में राजधानी के सरकारी, सहायता प्राप्त और निजी स्कूलों के सैकड़ों ¨प्रसिपल और प्रबंधन से जुड़े लोग शामिल हुए। यह पहला मौका था जब इतनी बड़ी संख्या में यूपी बोर्ड, सीबीएसई और आईसीएसई स्कूलों के ¨प्रसिपल और संचालकों को एक जगह बैठाकर बात की गई। डीजीपी सुलखान सिंह, अपर मख्य सचिव माध्यमिक संजय अग्रवाल, निदेशक माध्यमिक अमर नाथ वर्मा के साथ शिक्षा विभाग, जिला प्रशासन और पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी स्कूलों के मुद्दे पर एक साथ नजर आए। निजी स्कूलों पर लगाम के संकेत: उपमुख्यमंत्री ने निजी स्कूलों को साफ संदेश दे दिया। उन्होंने कहा कि मनमानी फीस वृद्धि, किताबें-कॉपी, यूनिफार्म एक जगह से बिकवाना यह सब हो रहा है। इन सबकी सूचनाएं आ रही हैं। यह नहीं चलेगा। एक बार बच्चे का दाखिला लेते समय कुछ समान नियम बनाए जाए। एक मंच तैयार किया जा रहा है जहां, सभी से सुझाव लिए जाएंगे। उसके आधार पर ही आगे कार्रवाई होगी। इस दौरान उन्होंने स्कूलों में कोचिंग चलाने वाले प्रबंधनों को भी स्पष्ट संदेश दे दिया। ऐसी व्यवस्थाएं बंद कर दें। वेबसाइट पर जारी करें सूचना: डॉ. शर्मा ने स्कूल ¨प्रसिपल और प्रबंधनों को सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता करने के लिए कुछ सुझाव भी दिए। उन्होंने कहा कि स्कूल अपने प्राइमरी सेक्शन को अन्य से अलग कर लें। स्कूल में सुरक्षा और स्वच्छता जैसी कमेटी का गठन करें। इनमें, अभिभावकों को शामिल किया जाए। उन्होंने प्रबंधनों को स्कूल में उपलब्ध सभी सुविधाओं की जानकारी वेबसाइट पर अपलोड करने को कहा। परीक्षा के दौरान प्रबंधन के लोग रहेंगे दूर: उपमुख्यमंत्री नकल के मुद्दे पर खुलकर बोले। उन्होंने कहा कि कई निजी स्कूल बोर्ड परीक्षा में बच्चों के फार्म भरवाने से लेकर पास कराने तक का ठेका ले रहे हैं। साफ किया कि इस बार की परीक्षा में नकल का खेल नहीं चलेगा। स्वकेन्द्र की व्यवस्था को समाप्त किया जा रहा है। परीक्षा के दौरान 200 मीटर के दायरे में प्रबंधन के लोग नहीं मौजूद होंगे। सीसीटीवी कैमरा नहीं तो स्कूल को केन्द्र ही नहीं बनाया जाएगा। पुलिस केन्द्र के बाहर नजर रखेगी। डॉ. दिनेश शर्मा ने अभिभावकों से अपील की है कि बच्चों सोशल मीडिया से दूर करें।
आरएलबी में गुरुवार को गोष्ठी को डिप्टी सीएम डा. दिनेश शर्मा ने भी संबोधित किया
डीजीपी सुलखान सिंह ने कहा कि जब बच्चे घर से निकलते हैं तो उन पर अभिभावक नजर रखें। खासकर जब वे मोबाइल, टीवी में ज्यादा समय दें तो ध्यान रखना जरूरी है। क्योंकि इसके ज्यादा इस्तेमाल से मानसिक विकास कुंद हो जाता है। स्कूलों को सभी स्टाफ का 100 प्रतिशत सत्यापन कराना जरूरी है। स्कूल में जो विजिटर आएं, उनका प्रवेश कार्ड भी जरूरी है। इसके अलावा स्कूल कैंटीन में काम करने वाले कर्मचारियों एवं आउट सोर्सिंग स्टाफ का सत्यापन अनिवार्य है।
जिला प्रशासन की ओर से एक एप तैयार किया गया है। डीएम कौशल राज शर्मा ने बताया कि स्कूलों में तैनात अब सभी कर्मचारियों से लेकर स्कूली ड्राइवर व कंडक्टरों का सत्यापन कराया जाएगा। यह ऑनलाइन वेरिफिकेशन सिस्टम वेबसाइट और मोबाइल एप्प दोनों ही मोड में काम करेगा। अगले महीने इस एप्प की शुरुआत की जाएगी। यहां स्कूल को अपने वाहनों की सभी सूचनाएं ऑनलाइन ही अपलोड करनी होगी। इसके बाद जिला प्रशासन और आरटीओ विभाग खुद ही अपलोड डिटेल को देख कर उस ड्राइवर और कंडक्टर का सत्यापन कर देगा।
बच्चों की सुरक्षा की जिम्मेदारी के मुद्दे पर जिलाधिकारी और निजी स्कूल आमने सामने नजर आए। असल में, जिलाधिकारी ने बच्चे से घर से निकले से लेकर छुट्टी के बाद घर तक पहुंचने की जिम्मेदारी स्कूल प्रबंधन की होने की बात कही। जिसपर स्कूल प्रबंधन भड़क गए। आईसीएसई स्कूलों के संगठन के प्रेसिडेंट माला मेहरा ने कहा कि कैम्पस के अंदर तो सुरक्षा की जिम्मेदारी पूरी तरह स्कूलों की है। साथ ही कैम्पस के बाहर 500 मीटर तक भी यह देखा जा सकता है। लेकिन घर आने-जाने तक छात्र की सुरक्षा स्कूल के लिए मुमकिन नहीं है। स्कूल वाहनों में ट्रैकर लगाए जाएं जिसे अभिभावक भी चेक करें।
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