सुप्रीम कोर्ट के आदेश से समायोजन रद होने के बाद लगातार आंदोलित शिक्षामित्रों के खिलाफ सूबे की सरकार ने कड़ा फैसला लिया है। सभी शिक्षामित्रों को आंदोलन बंद कर स्कूलों में पठन-पाठन व्यवस्थित करने के निर्देश दिए गए हैं। बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से आदेश जारी किया गया है कि 21 से 23 सितंबर तक सभी परिषदीय विद्यालयों की लगातार जांच की जाए। शिक्षामित्रों की उपस्थिति की रिपोर्ट तैयार कर शासन को प्रेषित करें।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद शिक्षामित्र स्कूल छोड़कर आंदोलन कर रहे हैं। इससे विद्यालय में पठन-पाठन का कार्य बाधित हो रहा है। जिले में 25 सौ से अधिक शिक्षामित्र हैं जो सहायक अध्यापक बनाए गए थे। अब उनके स्कूल न जाने से कई विद्यालय तो एकल हो गए हैं। प्रदेश सरकार शिक्षामित्रों को दस हजार रुपये प्रति माह मानदेय देने की घोषणा कर चुकी है जबकि शिक्षामित्र सहायक अध्यापक के बराबर वेतन की मांग कर रहे हैं। इस पर सरकार सहमत नहीं हो रही है। शिक्षामित्र लखनऊ से लेकर दिल्ली के जंतर- मंतर तक धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। सरकार ने सख्ती करना शुरू कर दिया है। जिला बेसिक शिक्षाधिकारी श्रवण कुमार ने बताया कि 21 सितंबर से ही खंड शिक्षाधिकारियों द्वारा विद्यालयों में शिक्षामित्रों की उपस्थित की जांच कराई जा रही है।
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