■ स्टूडेंट संविधान की 22 भाषाओं और अंग्रेजी यानी कुल 23 भाषाओं में से कोई भी तीन चुन सकते हैं।
■ स्टूडेंट को जर्मन, फ्रेंच या दूसरी विदेशी भाषा पढ़नी है तो वह चौथी भाषा के तौर पर पढ़ सकेगा।
■ मुताबिक, एचआरडी मिनिस्टर ने काफी वक्त पहले ही सीबीएसई को निर्देश दे दिए थे, लेकिन सीबीएसई की ओर से पहल नहीं की गई।
नई दिल्ली : सीबीएसई से संबद्ध स्कूलों और केंद्रीय विद्यालयों में अगले सत्र से स्टूडेंट्स किसी विदेशी भाषा को चौथी भाषा के तौर पर ही पढ़ सकेंगे। उन्हें थ्री-लैंग्वेज फॉर्म्युला के तहत इंग्लिश या 22 संवैधानिक भारतीय भाषाओं में से ही किन्हीं तीन को चुनना होगा। अभी एचआरडी मिनिस्ट्री के आदेश के बावजूद सीबीएसई के स्कूलों में स्टूडेंट्स थ्री-लैंग्वेज के तहत विदेशी भाषा ही पढ़ रहे हैं। एचआरडी मिनिस्टर प्रकाश जावडेकर ने सीबीएसई से कहा है कि वह जल्द इस संबंध में सर्कुलर जारी करे।
एचआरडी मिनिस्ट्री के एक अधिकारी के मुताबिक, थ्री-लैंग्वेज फॉर्म्युला का मकसद यह था कि स्टूडेंट्स अपनी मातृभाषा के अलावा दूसरी भारतीय भाषाएं भी सीख सकें। जैसे उत्तर के लोग हिंदी के साथ दक्षिण या नॉर्थ-ईस्ट में बोली जाने वाली भाषा भी सीख सकें। इसी तरह दक्षिण के लोग अपनी क्षेत्रीय भाषा के साथ मातृभाषा हिंदी भी सीख सकें। लेकिन सीबीएसई से संबद्ध स्कूलों में और केंद्रीय विद्यालयों में भी थ्री-लैंग्वेज फॉर्म्युले को ठीक से लागू नहीं किया गया। वहां भारतीय भाषाओं के बजाय स्टूडेंट थ्री-लैंग्वेज फॉर्म्युला के तहत जर्मन, फ्रेंच पढ़ रहे हैं। कुछ वक्त पहले इस पर काफी विवाद भी हुआ था।
No comments:
Write comments