बेसिक शिक्षा विभाग ने प्राइमरी स्कूलों में फर्जी अभिलेखों के जरिये नौकरी पाने वाले 15 शिक्षकों की सेवाएं समाप्त कर दी हैं। बीएसए संतोष देव पाण्डेय ने शनिवार को बताया कि जांच के दायरे में 17 शिक्षक आए थे। अभिलेखों के सत्यापन में 15 शिक्षकों के अभिलेख फर्जी पाए गए हैं। यही नहीं, दो शिक्षक एक साथ गोण्डा व फिरोजाबाद जिले में नौकरी करते पाए गए।
फर्जीवाड़े की पुष्टि होने पर 15 शिक्षकों को बर्खास्त कर दिया गया। जिले के सभी बीईओ को निर्देश दिया गया है कि जिनके क्षेत्र में इन शिक्षकों की नियुक्ति रही है वे अपने स्तर से थानों में दोषियों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराएं। बीएसए श्री पाण्डेय ने बताया कि कुछ और शिक्षक जांच के दायरे में हैं। उनके भी शैक्षिक अभिलेखों की जांच कराई जा रही है।
कटरा बाजार के प्राइमरी स्कूल उर्दी गोण्डा डीह के सहायक अध्यापक संदीप कुमार वर्मा, बभनजोत के अशोक कुमार, करनैलगंज के चंदन यादव व कटराबाजार में ही तैनात जितेन्द्र कुमार की टीईटी मार्क्सशीट फर्जी पाई गयी। इसके अलावा बभनजोत में तैनात मनोज कुमार, परसपुर के चन्द्रकांत, शिवकुमार शर्मा, कटरा बाजार में तैनात देवेश चन्द्र वर्मा, राघवेन्द्र कुमार वर्मा, दीपक वर्मा, इटियाथोक के आशीष कुमार, वेदप्रकाश व बेलसर के सुबोध कुमार के अभिलेख फर्जी पाए गए।
पहले हुए निलम्बित, जांच के बाद बर्खास्त:
हाईकोर्ट ने स्वाती उत्तम व अन्य की याचिका पर अनियमित नियुक्तियों की जांच के निर्देश दिए थे। 16 जनवरी 2017 को अनियमित नियुक्ति के दायरे में आए 17 शिक्षकों को नोटिस जारी किया गया था। 13 फरवरी को अन्तिम अवसर दिए जाने के बाद कई शिक्षक स्कूल से ही लापता हो गए। जिसके बाद डीएम के निर्देश पर 25 अप्रैल को 15 शिक्षकों को निलम्बित कर जांच शुरू कराई गयी। तीन सदस्यीय टीम ने बीते 5 सितम्बर को जांच रिपोर्ट बीएसए को भेज दिया। जिसके बाद 27 सितम्बर को आरोपी शिक्षकों को एक बार फिर सुनवाई का मौका दिया गया। उनके न आने पर 15 शिक्षकों के बर्खास्तगी का आदेश बीएसए ने जारी कर दिया।
चार की टीईटी फर्जी, दो लोग दो जिलों में बने रहे शिक्षक :
कार्रवाई के दायरे में आए 15 शिक्षकों में दो शिक्षक दो-दो जिलों में नौकरी कर रहे थे। करनैलगंज के प्राइमरी स्कूल मल्लाहनपुरवा में तैनात सहायक अध्यापक वैभव यादव व बेलसर के प्राइमरी स्कूल पूरे अहलाद में तैनात शुक्रांत यादव फिरोजाबाद जनपद में भी कार्यरत रहे। आधारकार्ड लिंक होने के बाद इसका खुलासा हुआ। जिसके बाद विभाग के निदेशक की ओर से कार्रवाई का आदेश जारी हुआ।
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