इलाहाबाद : सर्वोच्च न्यायालय से इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर ‘स्टे’ होने के बाद उप्र लोक सेवा आयोग पीसीएस-2016 (मुख्य परीक्षा) की कापियों का मूल्यांकन तो करा रहा है, जबकि इस मुख्य परीक्षा की वैधता शीर्ष कोर्ट के फैसले पर ही निर्भर करेगी। इससे सैकड़ों अभ्यर्थियों के भविष्य पर संकट भी खड़ा हो सकता है, क्योंकि यदि हाईकोर्ट के फैसले पर शीर्ष कोर्ट से मुहर लगती है तो आयोग को प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम संशोधित करना होगा और उसे मुख्य परीक्षा फिर से करानी होगी।
आयोग में इन दिनों पीसीएस (प्रारंभिक) परीक्षा 2017 की उत्तर पुस्तिकाओं के अलावा पीसीएस (मुख्य) परीक्षा 2016 की उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन भी चल रहा है। सचिव जगदीश का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट से स्टे मिलने के बाद प्रक्रिया पूरी कराई जा रही है। साक्षात्कार सर्वोच्च न्यायालय से होने वाले निर्णय पर आधारित होगा। कुल 640 पदों के लिए हुई पीसीएस परीक्षा 2016 की प्रारंभिक परीक्षा के परिणाम पर सवाल उठे थे। कुल नौ प्रश्नों के उत्तर पर आपत्ति जताते हुए 207 प्रतियोगी छात्रों ने हाईकोर्ट की शरण ली थी। जिस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने तीन शिक्षकों के पैनल से जांच करवाई तो पांच प्रश्नों के उत्तर गलत पाए गए। जिसे संशोधित करने के लिए हाईकोर्ट ने आयोग को आदेश दिया।
इस फैसले के खिलाफ उप्र लोक सेवा आयोग ने सर्वोच्च न्यायालय में विशेष अपील दाखिल की। जिस पर शीर्ष कोर्ट ने आयोग को स्थगनादेश देते हुए परीक्षा की प्रक्रिया जारी रखने को कहा। 1मामला फिलहाल शीर्ष कोर्ट में विचाराधीन है। छात्रों का कहना है कि आयोग ने यह फांस खुद ही गले में फंसा ली है। अगर प्रारंभिक परीक्षा के परिणाम को संशोधित करने को शीर्ष कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर मुहर लगा दी तो उस दशा में मेरिट बदल जाएगी और अभ्यर्थियों का स्थान ऊपर-नीचे हो जाएगा।
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