इलाहाबाद : पंजीकरण शुल्क में से दस रुपये प्रति छात्र-छात्र धनराशि का भुगतान विद्यालय प्रधानाचार्यो को होने का रास्ता साफ हो गया है। विरोध को देखते हुए शासन ने पंजीकरण शुल्क की नियमावली में संशोधन कर दिया है। यह जरूर है कि प्रधानाचार्य को पूरा पंजीकरण शुल्क राजकोष में जमा कराना होगा। बाद में भुगतान के लिए प्रधानाचार्य बिल प्रस्तुत करेंगे और यूपी बोर्ड की संस्तुति पर उन्हें भुगतान होगा। शासन ने इसमें यह शर्त जोड़ी है कि शुल्क जमा करने में देरी या फिर गलती होने पर भुगतान की धनराशि में यूपी बोर्ड कटौती भी करेगा।
माध्यमिक शिक्षा परिषद यानी यूपी बोर्ड ने पिछले वर्ष से पंजीकरण शुल्क में बढ़ोतरी की है। ज्ञात हो कि पहले कक्षा 9 व 11 के प्रति छात्र-छात्र से 20 रुपये शुल्क लिया जाता था, लेकिन पिछले वर्ष इसे बढ़ाकर 50 रुपये कर दिया गया। इसमें से 10 रुपये विद्यालय के खाते में, 20 रुपये माध्यमिक शिक्षा परिषद के खाते व इतने ही रुपये राजकोष में जमा कराने के निर्देश हुए थे। प्रधानाचार्यो ने दस रुपये प्रति छात्र-छात्र काटकर व बीस रुपये राजकोष में जमा करके बाकी धन बैंक में जमा कराया था, क्योंकि उस समय तक माध्यमिक शिक्षा परिषद का अलग से खाता खोलने का वित्त विभाग ने अनुमति नहीं दी थी। यह प्रकरण महीनों लंबित रहा। आखिरकार यह निर्देश हुआ कि पूरा धन राजकोष में जमा कराया जाए।
इस पर प्रधानाचार्यो ने यूपी बोर्ड सचिव से मिलकर विरोध जताया कि वह ऑनलाइन पंजीकरण कराने व परीक्षा फार्म आदि भरवाने के कार्य में तमाम धन खर्च करते हैं उनके मद का दस रुपया खर्च हो गया अब वह कहां से दें। साथ ही आगे भी प्रधानाचार्यो ने यह धन देने से इन्कार किया था। हालांकि परिषद का 20 रुपया राजकोष में जमा कराया गया। इस पर बोर्ड ने पूरी स्थिति से शासन को अवगत कराया और वहां से निर्देश मांगा था। शासन ने इस मामले में कुछ संशोधन किए हैं। नये नियमों के मुताबिक विद्यालय प्रधानाचार्य को प्रति छात्र-छात्र लिए गए पंजीकरण शुल्क का 50 रुपया राजकोष में जमा कराना होगा।
प्रधानाचार्य को पारिश्रमिक के रूप में दस रुपये दिया जाएगा, लेकिन उसके लिए वह यूपी बोर्ड सचिव को बिल प्रस्तुत करेगा। बोर्ड की संस्तुति पर प्रति छात्र-छात्र दस रुपये की दर से भुगतान होगा। बोर्ड सचिव नीना श्रीवास्तव ने बताया कि शासन ने इसमें यह शर्त जोड़ी है कि यदि प्रधानाचार्य तय समय सारिणी का पालन नहीं करेंगे या फिर पंजीकरण में गलतियां होगी तो पारिश्रमिक से बोर्ड दंड के रूप में धन भुगतान में कटौती भी कर सकेगा, क्योंकि इस कार्य के लिए प्रधानाचार्य ही सीधे तौर पर जिम्मेदार होगा।
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