रामपुर। सपा सरकार की योजना भाजपा सरकार में चलाने पर प्रधान और शिक्षक फंस गए हैं। वे बच्चों को अपना पैसा खर्च कर फल खिला रहे थे, लेकिन उन्हें इसका पैसा नहीं मिल सकेगा। सरकार ने बच्चों के फलों का पैसा वापस मंगा लिया है। इसलिए ट्रेजरी ने बेसिक शिक्षा विभाग का 60 लाख का बिल लौटा दिया। बेसिक शिक्षा के सुधार को लाख जतन किए जा रहे हैं। सपा सरकार ने बच्चों को फल खिलाने की योजना भी शुरू की थी। हर सोमवार को बच्चों को ताजा फल खिलाए जाते थे। इसके जिम्मेदारी प्रधान और शिक्षकों पर थी। प्रत्येक बच्चे को चार रुपये का फल खिलाने के हिसाब से पैसा दिया जा रहा था। सरकार बदल गई, लेकिन योजना चलती रही। प्रधानों को आस थी देर-सवेर पैसा मिल जाएगा। हालांकि सरकार ने जनपदों को बजट भी आवंटित कर दिया था। विभाग को 60 लाख रुपये मिल गए थे। विभाग ने भुगतान की प्रक्रिया पूरी की और पैसा जारी करने के लिए ट्रेजरी को बिल भेज दिया, लेकिन बिल ट्रेजरी पहुंचा तो इस पर आपत्ति लग गई।
विभाग ने जानकारी की तो पता चला कि सरकार ने पैसा जारी किए जाने पर रोक लगा दी है। बजट को वापस मांग लिया गया है। ऐसे में फलों के पैसे की आस लगाए बैठे प्रधान और प्राइमरी शिक्षक फंस गए हैं। चार माह का पैसा है बकायाशिक्षक और प्रधानों को अप्रैल-मई तक का पैसा मिल गया था। पैसा तो पुरानी सरकार ही दे गई थी। अब जुलाई से अक्टूबर तक चार माह का पैसा दिया जाना था, लेकिन अब पैसा सरकार ने वापस मांग लिया है। पैसे का भुगतान करे विभाग
रामपुर। प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष कैलाश बाबू और जिला मंत्री आनंद प्रकाश गुप्ता ने बीएसए को पत्र देकर कहा है कि शिक्षक और प्रधान अपने पास से बच्चों को फल खिला रहे हैं।
ट्रेजरी ने बिल पर रोक लगा दी है। फलों के पैसे का बिला बनाकर भेजा गया था, ताकि भुगतान किया जा सके। -राहुल सक्सेना जिला समन्वयक एमडीएम
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