Thursday, November 30, 2017
रामपुर : विद्या के मंदिर को चमका रहीं चेतना, आकर्षित कर रहा इमरता का प्राथमिक विद्यालय भवन, विभाग से नहीं मिलती सहायता
सैदनगर ब्लाक के इमरता प्राथमिक विद्यालय में तैनात शिक्षिका चेतना सिंह ने अपने निजी प्रयास से ही विद्या के मंदिर को चमका रही हैं। उनके स्कूल के हरे-भरे परिसर को देखकर लगता है कि किसी बगीचे की सैर कर रहे हैं। विद्यालय का आकर्षक भवन बच्चों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। यह तब है जबकि विभाग से इस कार्य के लिए कोई सहायता नहीं मिलती है।
विद्यालय रख-रखाव के लिए जो अनुरक्षण अनुदान मिलता है, उससे तो महंगाई के दौर में ठीक से पुताई भी नहीं हो पाती। चालू वर्ष भी आधे से ज्यादा बीतने को है, लेकिन अभी तक अनुदान की राशि नहीं मिल सकी है। बावजूद इसके स्कूल में तैनात शिक्षिकाएं अपने निजी संसाधनों एवं प्रयास से ही विद्या के इस मंदिर को चमकाने में लगी हैं। इस विद्यालय में चेतना सिंह की तैनाती सन 2015 में प्रधानाध्यापक के पद पर हुई थी। तैनाती के समय स्कूल की हालत अच्छी नहीं थी, जबकि वह अपने विद्यालय को बच्चों के लिए आकर्षक बनाना चाहती थी, लेकिन संसाधनों का अभाव था। विद्यालय को कैसे संवारा और सजाया जाए। इसी जुस्तजू में एक साल बीत गया। इसी दौरान स्वार ब्लाक में खंड शिक्षाधिकारी सिद्दीक अहमद द्वारा शैक्षिक संवर्धन एवं नवाचार कार्यक्रम चलाया जा रहा था। यह कार्यक्रम इतना सफल रहा कि देखते ही देखते ब्लॉक के 100 से ज्यादा प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों का कायाकल्प हो गया। इतना ही नहीं इस कार्यक्रम के माध्यम से विद्यालयों का भौतिक वातावरण में अपेक्षा से अधिक सुधार हुआ। साथ में बच्चों की उपस्थिति भी बढ़ी। शिक्षकों पर इस कार्यक्रम का इतना प्रभाव पड़ा कि वह शिक्षण में नवाचार और गतिविधियों का प्रयोग करने लगे। इस कार्यक्रम में बच्चों ने भी खूब रुचि ली। इस कार्यक्रम ने चेतना सिंह में एक नई चेतना और स्फूर्ति भर दी। अपने साथी शिक्षकों से मंशा जाहिर की, जिस पर सहायक अध्यापिका उजमा और शहनाज ने विद्यालय के सौंदर्यीकरण के लिए तन-मन-धन से सहयोग किया। तीनों मिलकर बिना सरकारी मदद के विद्यालय का कायाकल्प करने में लग गए। इसका नतीजा यह हुआ कि वर्तमान में विद्यालय के साफ-सुथरे कक्षा-कक्ष, खूबसूरत बरामदा, स्वच्छ व हरा-भरा विद्यालय का परिसर अनायास ही अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। इसका स्वच्छ और सुंदर शौचालय प्रधानमंत्री के सपनों को साकार कर रहा है। दीवारों पर बने सुंदर-सुंदर चित्र व शिक्षण सहायक सामग्री बच्चों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हैं। विद्यालय में वर्तमान में छात्र संख्या 162 हैं, जो विगत वर्षों से कहीं ज्यादा है। विद्यालय में शिक्षण कार्य गतिविधियों एवं नवाचार के द्वारा किया जाता है। 1इसका परिणाम यह हुआ कि बच्चों की उपस्थिति के साथ ही शैक्षिक गुणवत्ता में निरंतर सुधार हो रहा है। इसका श्रेय विद्यालय में तैनात शिक्षिकाओं को जाता है, जिन्होंने अपने निरंतर और अथक प्रयास से विद्यालय को चमकाया है। उनके इस जज्बे की ग्रामीण समेत अधिकारी भी सराहना कर चुके हैं। किसी ने क्या खूब कहा है, जहां चाह होती है, वहां राह खुद व खुद निकल आती है।
शोध व आधारभूत संरचना के विकास को मिलेंगे 2000 करोड़, निशक्त बच्चों की जरूरतों पर बनेगी कार्ययोजना
निशक्त बच्चों की जरूरतों को समझते हुए स्कूलों में उनके अनुकूल माहौल बनाने तथा उन्हें शिक्षा का समान एवं समावेशी अवसर प्रदान करने के लिये मानव संसाधन विकास मंत्रालय शिक्षा से जुड़े विभिन्न घटकों के साथ विचार-विमर्श करने जा रही है ताकि ऐसे बच्चों की मदद के लिये कार्य योजना तैयार की जा सके। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि निशक्त बच्चों पर विशेष ध्यान दिये जाने की जरूरत होती है। ऐसे में इनसे जुड़े विभिन्न विषयों पर र्चचा के लिये मंत्रालय 1 दिसंबर को कार्यशाला का आयोजन कर रहा है। उन्होंने कहा कि इस कार्यशाला में शिक्षा से जुड़े विभिन्न पक्षकार हिस्सा लेंगे ताकि ऐसे बच्चों की मदद के लिये रणनीति और कार्य योजना तैयार की जा सके।
■ हेफा की तरफ से दिया जा रहा यह ऋण ब्याज मुक्त होगा
■ पांच आईआईटी समेत छह संस्थानों को मिलेगा यह ऋण
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के तहत उच्च शिक्षा वित्त पोषण एजेंसी (हेफा) ने पांच आईआईटी समेत छह संस्थानों को शोध एवं आधारभूत संरचनाओं के विकास के लिए 2000 करोड़ रुपये का ब्याज मुक्त ऋण प्रदान करने का निर्णय किया है। मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने अपने ट्वीट में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा, मुझे यह सूचित करते हुए प्रसन्नता हो रही है कि उच्च शिक्षा वित्त पोषण एजेंसी (हेफा) छह संस्थाओं के लिए ब्याज मुक्त ऋण के रूप में 2000 करोड़ रुपये मंजूर कर रही है।
यह धनराशि इन छह संस्थाओं में शोध, अकादमिक विकास एवं आधारभूत संरचनाओं से जुड़ी परियोजनाओं से संबंधित होगी। इन छह संस्थाओं में आईआईटी कानपुर, आईआईटी दिल्ली, आईआईटी बंबई, आईआईटी मद्रास, आईआईटी खड़गपुर और एनआईटी कर्नाटक में कम्प्यूटर विज्ञान विभाग शामिल है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 12 सितंबर 2016 को प्रमुख शैक्षिक संस्थानों में उच्च गुणवत्ता वाले बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए उच्च शिक्षा वित्त पोषण एजेंसी (हेफा) के गठन को मंजूरी प्रदान की थी। उच्च शिक्षा वित्त पोषण एजेंसी चिह्नित प्रवर्तक और मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से 2,000 करोड़ रुपये के अधिकृत पूंजी से प्रवर्तित होगी। इसमें सरकार की इक्विटी 1,000 करोड़ रुपये होने की बात कही गई है ।
बोर्ड के लिए परीक्षा की घड़ी, केंद्रों में बदलाव के बाद परीक्षा सकुशल संपन्न कराना आसान नही, स्थितियां अनुकूल बनाने में पूरी ताकत से जुटा बोर्ड प्रशासन
इलाहाबाद : हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के लाखों छात्रों की परीक्षा कराने से पहले माध्यमिक शिक्षा परिषद यानी यूपी बोर्ड को व्यवस्थाएं बनाने में खुद भी परीक्षा देनी पड़ रही है। केंद्र निर्धारण में ‘खेल’ उजागर होने के बाद जिस तरह से जिला विद्यालय निरीक्षकों की लापरवाही सामने आई और शिक्षा माफिया से साठगांठ के चलते सबकुछ गड़बड़ाया उसके बाद से स्थितियां अनुकूल करने में बोर्ड पूरी ताकत से जुटा है। ऐसी परिस्थिति में परीक्षा केंद्रों में होने वाले बदलाव के बाद परीक्षा को सकुशल संपन्न कराना यूपी बोर्ड की असल कामयाबी होगी।
हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षाएं छह फरवरी, 2018 से शुरू हो रही हैं। इसके लिए नवंबर में परीक्षा केंद्र निर्धारण कर सूची यूपी बोर्ड को भेजी गई। उन पर आपत्तियां आमंत्रित करने से पहले ही केंद्र निर्धारण में जिला विद्यालय निरीक्षकों और शिक्षा माफिया की साठगांठ उजागर हो गई। इसके बाद बोर्ड में हलचल सहित प्रदेश भर में उठे तूफान के चलते देश की सबसे बड़ी परीक्षा संस्था माध्यमिक शिक्षा परिषद की खूब किरकिरी हुई। बोर्ड के लिए परीक्षा की घड़ी तभी से शुरू हो गई। परीक्षा केंद्रों पर सवाल उठते ही बोर्ड की सचिव नीना श्रीवास्तव ने जिला विद्यालय निरीक्षकों को पत्र भेजकर उनके पेंच कसे। जिलाधिकारी के स्तर से भी आपत्तियों की स्क्रीनिंग कर उसकी रिपोर्ट मांगी।
सूत्र बताते हैं कि बोर्ड परीक्षा में नकल के लिए बदनाम विद्यालयों के नाम परीक्षा केंद्र की सूची से कट जाने पर परीक्षा के दिनों में बोर्ड के सामने और भी कठिनाई आ सकती है। ऐसी परिस्थिति में परीक्षा सकुशल संपन्न करा पाना यूपी बोर्ड की बड़ी कामयाबी होगी। बोर्ड सचिव नीना श्रीवास्तव ने कहा कि साठगांठ जैसी कोई बात अभी सामने नहीं आई है, परीक्षा केंद्रों के निर्धारण में कुछ लापरवाही जरूर हुई, जिसमें परीक्षा केंद्र काफी दूर निर्धारित कर दिया जाना प्रमुख रहा। उन्होंने बताया कि आपत्तियां आई हैं, परीक्षा केंद्रों में बदलाव भी होंगे लेकिन, ऐसे मामले ज्यादा संख्या में नहीं हैं। अभी बहुत समय है, व्यवस्थाएं दुरुस्त कर ली जाएंगी और परीक्षाएं भी सकुशल संपन्न होंगी।
ऑनलाइन परीक्षाओं की रेस में पिछड़ रहा लोक सेवा आयोग, संसाधनों का अभाव और गोपनीयता बने प्रमुख कारण, कम सीटों वाली छोटी परीक्षाएं कंप्यूटर आधारित कराने पर विचार
,इलाहाबाद : न्यायिक और प्रादेशिक सेवाओं में युवाओं की भर्ती के लिए तेजी से कदम बढ़ा रहा उप्र लोक सेवा आयोग तकनीकी लिहाज से अन्य संस्थानों के मुकाबले काफी पिछड़ गया है। मोबाइल, कंप्यूटर और इंटरनेट के युग में आयोग से भर्ती परीक्षाओं समेत तमाम अन्य कार्य कागजी तौर पर ही हो रहे हैं। आयोग का तर्क है कि गोपनीयता बरतने के कारण महत्वपूर्ण परीक्षाएं ऑनलाइन नहीं करा सकते लेकिन, कुछ छोटी परीक्षाओं को ऑनलाइन यानी कंप्यूटर आधारित कराने पर मंथन चल रहा है।
परीक्षाओं में संघ लोक सेवा आयोग के तरीके को अपना रहा उप्र लोक सेवा आयोग पेपर वर्क पर ही आधारित है। पीसीएस, पीसीएस (जे.), अभियंत्रण सेवा, कुलसचिव, प्रवक्ता, मुख्य अग्निशमन अधिकारी सहित अन्य सभी परीक्षाएं आयोग अभी लिखित रूप से ही करा रहा है। इसके चलते उत्तर पुस्तिकाओं के परिवहन, स्कैनिंग आदि कार्यो में कई दिन लग जाते हैं। उत्तर पुस्तिकाओं की सुरक्षा का काम भी महत्वपूर्ण हो जाता है। वहीं अन्य आयोग, उच्च शिक्षण संस्थान पूरी तरह से कंप्यूटर आधारित परीक्षाएं ही करा रहे हैं।
करीब साल भर से आयोग ने प्रतियोगी छात्रों तक जरूरी सूचनाएं पहुंचाने के लिए ऑनलाइन काम शुरू किया है, यहां तक कि उत्तर कुंजी भी ऑनलाइन जारी की जा रही है लेकिन, परीक्षा के लिए आवेदन, परीक्षाएं, आपत्तियां आमंत्रित करने का काम हार्ड कापी पर ही हो रहा है। आयोग का तर्क है कि वह महत्वपूर्ण परीक्षाएं कराता है इसलिए गोपनीयता व सुरक्षा के लिहाज से कंप्यूटर आधारित परीक्षाएं नहीं कराई जा सकती हैं। इसके लिए प्रदेश भर में बनाए जाने वाले केंद्रों में संसाधन के अभाव, कंप्यूटर आधारित परीक्षा के लिए भारी भरकम खर्च को भी अहम कारण बताया।
आयोग ने इसके लिए यूपीएससी यानी संघ लोक सेवा आयोग से होने वाली परीक्षाओं का भी हवाला दिया कि वहां भी लिखित परीक्षा ही कराई जाती है।
■ ऑनलाइन परीक्षाओं पर मंथन
आयोग के सचिव जगदीश का कहना है कि कम सीटों पर भर्ती के लिए कई छोटी परीक्षाएं भी कराई जाती हैं, ऐसी परीक्षाओं को ऑनलाइन कराने पर विचार किया जा रहा है। इस पर मंथन करके शासन में प्रस्ताव भेजा जाएगा।
Wednesday, November 29, 2017
रामपुर : बरामदे में चल रहा है सरकारी स्कूल, कमरों पर मकान मालिक का कब्जा
क्षेत्र में एक सरकारी स्कूल ऐसा भी है जो किराए के भवन में चल रहा है, लेकिन इसके कमरों में मकान मालिक का कब्जा है। सिर्फ बरामदे में ही स्कूल चल रहा है। कमरे के आगे बरामदे में बच्चों को पढ़ाया जाता है। कमरे में मकान मालिक का बिस्तर और चारपाई पड़ी है। इसके बगल में बने कमरे में भूसा भरा है।
टांडा तहसील के अंतर्गत काशीपुर मार्ग पर ग्राम पंचायत रामपुर धम्मन गांव है। यह दो गांव से मिलकर बना है। रामपुर धम्मन तथा मोहब्बतनगर गांव रामपुर धम्मन में कुल एक हजार वोटर हैं। मोहब्बतनगर में पांच सौ वोटर हैं। गांव की रामपुर धम्मन से दूरी लगभग एक किमी है। इसमें लगभग एक दशक पूर्व ग्रामीणों की मांग पर प्राथमिक विद्यालय को मंजूरी मिली थी, जिसकी मंजूरी के बाद लोगों में खुशी का ठिकाना न था। स्कूल के नाम लगभग एक बीघा जमीन ग्राम पंचायत ने दी थी, जिसमें विभाग ने वर्ष 2006 में भवन निर्माण का कार्य शुरू किया था, लेकिन एक ग्रामीण ने स्कूल को अपने खेत में बनाने की बात कहकर कोर्ट में वाद दायर कर दिया। इसके बाद स्कूल का निर्माण अधर में लटक गया। तक से अब तक स्कूल में अध्यापक किराए के भवन में बच्चों को पढ़ा रहे हैं। इंचार्ज प्रधानाध्यापक वीर सिंह तथा अध्यापिका शिक्षामित्र गुलशन जहां तैनात हैं। स्कूल में 60 बच्चे पंजीकृत हैं, हालांकि मंगलवार को स्कूल में 30 बच्चे ही उपस्थित थे, जिनको खाने में दाल-चावल भी खिलाया गया। कमरे के आगे बरामदे में बच्चे पढ़ रहे थे। बरामदे के अंदर कमरे में मकान मालिक का सामान पड़ा है तथा बराबर वाले कमरे में भूसा भरा है। बच्चे पढ़ाने वाले स्थान पर भी गंदगी भरा माहौल है।
ऐसे में यह स्वच्छता अभियान की भी पोल खोल रहा है, परन्तु शिकायत के बाद भी बच्चों को स्कूल भवन नसीब नहीं हो रहा है, जिससे ऐसे माहौल में ही बच्चे शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर हैं। इंचार्ज प्रधानाध्यापक का कहना है कि बरामदे के बदले मकान मालिक को 1500 रुपये माहवार दे रहे हैं।
ग्राम प्रधान नूरहसन का कहना है कि इस स्कूल के नाम लगभग एक बीघा जमीन दर्ज है, परन्तु कुछ लोगों ने उस पर कब्जा कर रखा है। उधर स्वार खंड शिक्षाधिकारी का कहना है कि गांव में प्राथमिक विद्यालय के लिए खाते में धनराशि भी जमा है, परन्तु कम है। यह भवन निर्माण कार्य के लिए पर्याप्त नहीं है। धनराशि स्वीकृति के लिए प्रस्ताव भेजा गया है। धनराशि मिलने के बाद भवन निर्माण कराया जाएगा।किराए के भवन में बच्चों
बरेली : विद्याज्ञान प्रवेश परीक्षा के केंद्र बदले, 4812 अभ्यर्थी प्रभावित
विद्याज्ञान प्रवेश परीक्षा के लिए जिले के केंद्र बदल दिए गए हैं। दस दिसंबर को विभिन्न तहसीलों के पांच केंद्रों पर होने वाली परीक्षा के लिए 4812 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया है। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी की ओर से केंद्र बदलने के बाबत विद्याज्ञान स्कूल के परियोजना निदेशक को जानकारी भेज दी गई है।
संशोधित परीक्षा केंद्रों के अनुसार आंवला तहसील के लिए नया केंद्र चाचा नेहरू इंटर कॉलेज को बनाया गया है। इसमें रामनगर, मझगवां, आलमपुर जाफराबाद, आंवला नगर के 508 बालक और 477 बालिकाएं परीक्षा देंगी। फरीदपुर तहसील का केंद्र श्यामसुंदर कन्या इंटर कॉलेज है। यहां फरीदपुर, भुता, फरीदपुर नगर के अभ्यर्थी परीक्षा देंगे। इनमें 321 बालक और 328 बालिकाएं हैं। वहीं नवाबगंज तहसील के अभ्यर्थियों का केंद्र अब जेपीएन इंटर कॉलेज है। इसमें नवाबगंज और भदपुरा के 401 बालक और 403 बालिकाओं ने प्रवेश परीक्षा के लिए आवेदन किया हुआ है। इसके अलावा बहेड़ी तहसील का केंद्र प्रो.केसर इंटर कॉलेज बनाया गया है। यहां 366 बालक और 389 बालिकाओं ने परीक्षा के लिए आवेदन किया है।1ये सभी बहेड़ी, दमखोदा, शेरगढ़, बहेड़ी नगर ब्लॉक के हैं। वहीं सदर तहसील में कुल 1639 अभ्यर्थी अब राजकीय बालिका इंटर कॉलेज में प्रवेश परीक्षा देंगे। इनमें 835 बालक और 804 बालिका हैं, जो बिथरी चैनपुर, क्यारा, भोजीपुरा, मीरगंज, फतेहगंज पश्चिमी की है। बालिकाओं की प्रवेश परीक्षा सुबह साढ़े दस बजे से साढ़े 12 बजे तक है। वहीं बालकों की परीक्षा दोपहर ढाई बजे से साढ़े चार बजे तक होगी।
गोरखपुर : सत्यापन के दौरान सर्टिफिकेट मिला फर्जी, फर्जी सर्टिफिकेट पर नौकरी कर रहा शिक्षक बर्खास्त
फर्जी सर्टिफिकेट पर नौकरी कर रहे एक शिक्षक को मंगलवार को बर्खास्त कर दिया गया। विभाग द्वारा अंक पत्र सत्यापन के दौरान सर्टिफिकेट के फर्जी होने का पता चला। खजनी क्षेत्र के उच्च प्राथमिक विद्यालय बदरा में तैनात सहायक अध्यापक अशोक बाबू फर्जी सर्टिफिकेट पर नौकरी कर रहा था। प्रमाण पत्र की जांच की प्रक्रिया में पता चला कि अशोक ने बीएससी का फर्जी अंकपत्र नौकरी के लिए लगाया था। सम्बंधित विश्वविद्यालय में सत्यापन के बाद सर्टिफिकेट के फर्जी होने का पता चला।
जुलाई से चल रहा था अवकाश पर: अशोक बाबू की नियुक्ति 24 सितंबर 2015 को गणित व विज्ञान के अध्यापकों के लिए आयी 29 हजार शिक्षकों की भर्ती में हुई थी। मूल रूप से फिरोजाबाद जिले के बुद्धधर पोस्ट सरई निवासी अशोक बाबू ने नौकरी के दौरान अपने किसी सहकर्मी से पढ़ाई-लिखाई के बारे में कोई जिक्र नहीं किया था। उसने जुलाई 2017 से ही अवकाश ले लिया था और अब तक विद्यालय नहीं आया था। अशोक ने रूहेलखंड विश्वविद्यालय बरेली से प्रदत्त बीएससी का सर्टिफिकेट लगाया था। विभाग द्वारा प्रमाण पत्रों की जांच के दौरान विश्वविद्यालय से उसके सर्टिफिकेट के फर्जी होने की पुष्टि हो गई। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी रामसागर पति त्रिपाठी ने बताया कि अंकपत्र सत्यापन के दौरान पता चला कि खजनी के बदरा उच्च प्राथमिक विद्यालय पर कार्यरत सहायक अध्यापक अशोक बाबू का सर्टिफिकेट फर्जी है। उसे तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया गया है।’पाया गया सर्टिफिकेट उच्च प्राथमिक विद्यालय बदरा खजनी में थी तैनाती
अब सरकारी स्कूलों में लगेगी ‘किसानों की पाठशाला’ : कृषकों की आय दोगुनी करने के बताए जाएंगे उपाय
■ वीडीओ कांफ्रेसिंग के जरिए प्रमुख सचिव कृषि ने अफसरों को दी जानकारी
इलाहाबाद : प्रदेश के किसानों की खुशहाली के लिए बहुत जल्द सरकारी विद्यालयों में किसानों की पाठशाला लगेगी। किसान अपनी फसलों की आय किस प्रकार से दोगुनी करें, इसको लेकर उन्हें पढ़ाया जाएगा। इस पाठशाला का आयोजन कृषि विभाग द्वारा किया जाएगा।
किसान पाठशाला में अधिकारी, मास्टर ट्रेनर किसानों को कमल गट्टा में अधिक पैदावार, प्रमाणित बीज चयन,औषधि खेती, सहफसली खेती, जैविक खेती, समय पर खेतों की बुआई समेत विभिन्न बिंदुओं की सीख देगें। साथ ही पाठशाला में सरकार की किसानों को लाभान्वित करने वाली योजनाओं के बारे में विस्तार से बताया जाएगा। किसानों की पारंपरिक खेती करने की विधि से बाहर निकाल कर उन्हें तकनीकी खेती अपनाने की सीख देकर उनकी आय बढ़ाने को सरकार नई पहल आरंभ कर रही है। पांच दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय मृदा दिवस है। इस मौके पर शाम को यह पाठशाला आयोजित की जाएगी।
इसके लिए कृषि विभाग के अधिकारियों को भी अलग से प्रशिक्षण दिया जाएगा। जिला कृषि अधिकारी डा. अश्वनी कुमार सिंह द्वारा बताया गया कि पाठशाला में किसानों को कम लागत में अधिक उत्पादन लेने के बारे में विस्तृत जानकारी दी गयी। कार्यक्रम के लिए जनपद में सेक्टर अधिकारियों की नियुक्ति उप कृषि निदेशक विजय सिंह द्वारा कर दी गई है। जिला कृषि रक्षा अधिकारी इंद्रजीत यादव, भूमि संरक्षण अधिकारी गौरव कुमार सहित तमाम कर्मचारियों को मास्टर ट्रेनर प्रशिक्षण के लिए नियुक्त किया गया है। मंगलवार को प्रमुख सचिव कृषि उत्तर प्रदेश शासन वीडीओ कांफ्रेसिंग के द्वारा प्रदेश के समस्त अधिकारियों को निर्देश दिए।
प्रतापगढ़ : 165 शिक्षामित्रों के मूल विद्यालय खोजने में छूट रहा पसीना, बीएसए ने खंड शिक्षा अधिकारियों से तीन दिन में मांगी थी रिपोर्ट
165 शिक्षामित्रों के मूल विद्यालय खोजने में छूट रहा पसीना, बीएसए ने खंड शिक्षा अधिकारियों से तीन दिन में मांगी थी रिपोर्ट, मानदेय भुगतान के लिए शिक्षामित्र संघ ने किया अनुरोध।
प्रतापगढ़ : जिले के 165 शिक्षामित्रों के मूल विद्यालय व विकास खंड खोजने में खंड शिक्षा अधिकारियों के पसीने छूट रहे हैं। मानदेय भेजने के समय यह प्रकरण सामने आया कि शिक्षामित्रों के समायोजन से पूर्व के उनके विद्यालय व विकास खंड में भिन्नता है।
शिक्षामित्र समायोजन के बाद जिन विद्यालयों में पदास्थापित किए गए थे, सर्वोच्च न्यायालय द्वारा समायोजन निरस्त होने के बाद भी अधिकांश अभी उन्ही विद्यालयों में हैं। प्रदेश सरकार ने सर्वोच्च अदालत के आदेश का अनुपालन करते हुए बीते 20 सितंबर को एक शासनादेश जारी कर ऐसे सभी समायोजित शिक्षकों को मूल पद शिक्षामित्र पर वापस करते हुए वर्ष में 11 माह के लिए दस हजार रुपये मानदेय निर्धारित कर दिया। जनपद में जहां आधे से अधिक समायोजित शिक्षकों ने विभागीय आदेश के तहत शिक्षामित्र पद पर अपने मूल विद्यालय में कार्यभार ग्रहण कर लिया और मानदेय की आस लगाए हैं।
मानदेय भुगतान के पूर्व विभाग में 165 शिक्षामित्रों के मूल विद्यालय खोजने में विभाग को पसीने छूट रहे हैं। इस्तीफा देकर बीटीसी करने वाले शिक्षामित्रों को जब विद्यालय में कार्यभार ग्रहण कराते समय मनमानी इस कदर हावी रही कि ग्राम शिक्षा समिति को भी अवगत नहीं कराया गया। बीएसए ने 24 नवंबर को खंड शिक्षा अधिकारियों को पत्र लिखकर तीन दिनों के भीतर उक्त शिक्षामित्रों के मूल विद्यालय की जानकारी मांगी थी। अभी तक किसी भी खंड शिक्षा अधिकारी की रिपोर्ट बीएसए कार्यालय नहीं आई। इस संबंध में बीएसए बीएन सिंह ने बताया कि निकाय चुनाव की मतगणना के कारण रिपोर्ट नहीं आ सकी है।
■ शिक्षामित्रों के मानदेय को लेकर बीएसए से मिलीं जिलाध्यक्ष प्रतापगढ़ : आदर्श शिक्षामित्र वेलफेयर एसोसिएशन की जिलाध्यक्ष रीना सिंह ने मंगलवार को बीएसए से मिलकर कहा कि जिले के शिक्षामित्रों का मानदेय अभी तक उनके खातों में नहीं पहुंचा है। उन्होंने कहा कि जिन 165 शिक्षामित्रों का मूल विद्यालय न मिलने की वजह से मानदेय रोका गया है, उनमें से लगभग 130 शिक्षामित्रों को वह व्यक्तिगत रूप से जानती हैं। उन्होंने कहा कि जो गलत हों उनके विरुद्ध कार्रवाई की जाए लेकिन जो सही हों उनका मानदेय जल्द भेजा जाए।
CISCE : 10 वीं और 12 वीं के बाद 9वीं और 11वीं कक्षा का भी पास प्रतिशत गया घटाया, 2018-19 सत्र से होगा लागू फैसला
इलाहाबाद : काउंसिल फॉर द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन (सीआइएससीई) ने यूपी बोर्ड, सीबीएसई बोर्ड में एकरूपता लाने के लिए आइसीएसई व आइएससी में पास प्रतिशत घटा दिया है। यही पास प्रतिशत कक्षा नौ व 11 के लिए भी होगा। यह व्यवस्था 2018-2019 से होगी लागू।
■ अब कक्षा 9 व 10 में पास होने के लिए पाने होंगे 33 फीसद अंक
■ कक्षा 11 व 12 में पास होने के लिए पाने होंगे 35 फीसद अंक
अब आइसीएसई में पास होने के लिए 35 फीसद की बजाय 33 फीसद अंक ही हासिल करने होंगे। आइएससी में पास प्रतिशत 40 फीसद की बजाय 35 फीसद कर दिया गया है। सीआइएससीई ने मानव संसाधन विकास मंत्रलय व देश के अन्य शिक्षा बोर्डो के साथ कई बार की मीटिंग के बाद इस निर्णय को अमलीजामा पहनाया है। इस मसले पर निर्णय के लिए इंटर बोर्ड वर्किंग ग्रुप (आइबीडब्ल्यूजी) का गठन किया गया था।
आइबीडब्ल्यूजी ने यह सलाह दी थी कि देश के सभी बोर्डो में पास प्रतिशत एक समान होना चाहिए। इसके बाद बोर्ड ने यह निर्णय लिया। के चीफ एक्जक्यूटिव सेक्रेटरी गैरी एराथन ने इस आशय का आदेश जारी कर दिया है। यह व्यवस्था 2019 से लागू होगी। देश के सभी प्रिंसिपल्स को दिए गए आदेश में कहा गया है कि 2018-2019 सत्र के आंतरिक मूल्यांकन व्यवस्था में भी इसी पास प्रतिशत क्राइटेरिया से अंक दिए जाएं। कक्षा नौ व कक्षा दस (आइसीएसई) के लिए 33 फीसद पास प्रतिशत व कक्षा 11 व 12 (आइएससी) के लिए 35 फीसद पास प्रतिशत होगा। यूपी बोर्ड में हाईस्कूल व इंटर दोनों के लिए पास प्रतिशन 33 फीसद है। ब्वायज हाईस्कूल एंड कॉलेज की वाइस प्रिंसिपल सीबी ल्यूक ने बताया कि इस आशय का फैसला हुआ है पर अभी सकरुलर कॉलेज को नहीं मिला है।
परीक्षा केंद्रों में मानक पूरा होने की जिम्मेदारी डीआइओएस पर, प्राथमिकी दर्ज और डिबार वाले परीक्षा केंद्रों को तत्काल बदलने के निर्देश
■ अपर सचिव माध्यमिक शिक्षा ने वीडियो कांफ्रेंसिंग से परखी तैयारी
इलाहाबाद : यूपी बोर्ड परीक्षा के केंद्र निर्धारण में जिन जिलों में मानक पूरे नहीं होंगे वहां के जिला विद्यालय निरीक्षकों पर कार्रवाई होगी। इसके अलावा जिन ऐसे विद्यालयों को परीक्षा केंद्र बनाया गया है जिनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज है और डिबार हैं, उन्हें तत्काल बदलने के निर्देश हुए हैं। मंगलवार को अपर सचिव माध्यमिक शिक्षा संजय अग्रवाल ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए प्रदेश भर के डीआइओएस से मुखातिब होकर बोर्ड और शासन की मंशा से अवगत कराया।
परीक्षा केंद्रों के मानक और परीक्षार्थियों को मिलने वाली मूलभूत सुविधाओं के संबंध में अपर सचिव माध्यमिक शिक्षा ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों को आवश्यक दिशा निर्देश दिए। उन्होंने जिलों से परीक्षा तैयारियों की जानकारी ली, कहा कि जहां भी परीक्षा केंद्रों के निर्धारण में परीक्षा नीति का पालन नहीं हुआ है वहां बदलाव कर नीति के बिंदु सुनिश्चित कराए जाएं। उन्होंने कहा कि जिन विद्यालयों के खिलाफ प्राथमिक दर्ज है या डिबार हैं ऐसे विद्यालयों को परीक्षा केंद्र बना दिया है इनमें तत्काल बदलाव कर राजकीय इंटर कालेजों, अशासकीय स्कूलों को प्राथमिकता दी जाए।
उन्होंने यह भी कहा कि परीक्षा केंद्रों में सीसीटीवी कैमरे, हवा-पानी और उजाला, साफ सफाई, फर्नीचर की सुविधा उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें। 1अपर सचिव ने यह सख्त लहजे में कहा कि जिन जिलों में निर्धारित परीक्षा केंद्रों में मानक का पालन नहीं होगा वहां के डीआइओएस पर कार्रवाई होगी। कहा कि परीक्षा को किसी भी हालत में नकल विहीन और विवाद विहीन कराना सुनिश्चित किया जाए। वीडियो कांफ्रेंसिंग के दौरान इलाहाबाद में माध्यमिक शिक्षा परिषद की सचिव नीना श्रीवास्तव से अपर सचिव माध्यमिक शिक्षा ने बात की तो प्रदेश के अन्य जिलों में डीआइओएस से जानकारी ली।
अगले शैक्षिक सत्र से प्रदेश में एनसीईआरटी पाठ्यक्रम, स्कूली शिक्षण में बेहतरी के लिए सरकार कटिबद्ध
इलाहाबाद : प्रदेश में अगले शैक्षिक सत्र से राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) का पाठ्यक्रम हर हाल में लागू किया जाएगा। स्कूली शिक्षण में बेहतरी के लिए प्रदेश सरकार कटिबद्ध है। नकल माफिया का खेल अब नहीं चलने दिया जाएगा। यह बातें उप मुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा ने मंगलवार को यहां जागरण से विशेष चर्चा में कहीं।
एक वैवाहिक समारोह में शिरकत करने आए उपमुख्यमंत्री ने कहा कि शैक्षिक उन्नयन की दिशा में सार्थक प्रयास चल रहा है। पूर्व की सरकारों पर शिक्षा का माहौल खराब करने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि खामियों को दूर करने में कुछ वक्त जरूर लग सकता है, लेकिन व्यवस्था पूरी तरह पटरी पर लाई जाएगी। अब तक कई प्रयास किए गए हैं और इनके नतीजे बेहतर रहे हैं।
कोशिश यही है कि साल भर में कम से कम 220 दिन अनिवार्य रूप से पठन-पाठन हो। उन्होंने बताया कि यूपी बोर्ड की परीक्षा में स्वकेंद्र की व्यवस्था समाप्त कर दी गई है। हर परीक्षा केंद्र में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे। दागी इंटर कालेजों को सेंटर बनाया तो कार्रवाई की जाएगी।1 निकाय चुनाव में पार्टी की क्या स्थिति रहेगी, इस सवाल पर उन्होंने कहा कि विधान सभा चुनावों की तरह ही नतीजा रहेगा। उपमुख्यमंत्री ने तीसरे और आखिरी चरण में जोरदार मतदान की उम्मीद जताई। डा. शर्मा का यह निजी प्रवास था, फिर भी भाजपा के कई स्थानीय पदाधिकारी उनका स्वागत करने पहुंचे थे।उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा।
Tuesday, November 28, 2017
बिजनौर : जिले के किसानों की आय दोगुना करने को नई पहल, परिषदीय विद्यालयों में अब चलेगी किसान पाठशाला
किसानों की आय दोगुनी करने के लिए सरकारी अधिकारी गांवों के परिषदीय विद्यालयों में किसान पाठशाला का आयोजन करेंगे। किसान पाठशाला में अधिकारी/मास्टर ट्रेनर किसानों को कम लागत में अधिक पैदावार, प्रमाणित बीज का चयन, औषधि खेती, सहफसली खेती, जैविक खेती समय पर खेती की बुआई समेत विभिन्न ¨बदुओं की सीख देंगे। साथ ही पाठशाला में सरकार की किसानों को लाभान्वित करने वाली योजनाओं के बारे में विस्तार से बताया जाएगा।
किसानों को पारंपरिक खेती करने की विधि से बाहर निकाल कर उन्हें तकनीकी खेती अपनाने की सीख देकर उनकी आय बढ़ाने को सरकार नई पहल आरंभ कर रही है। बिजनौर समेत प्रदेश के सभी जिलों में परिषदीय विद्यालयों में पांच दिसंबर से शाम के समय किसान पाठशाला आरंभ की जाने वाली है। जिले की 130 न्याय पंचायत के दो-दो गांवों के परिषदीय विद्यालयों में दो चरणों में किसान पाठशाला का आयोजन होगा। पाठशाला में किसानों को खेती के बारे में जानकारी देने के लिए जिले के कई अधिकारियों को मास्टर ट्रेनर का प्रशिक्षण भी मिल गया है।
मास्टर ट्रेनरों में प्रत्येक पाठशाला के लिए ट्रेनरों को प्रशिक्षण दे दिया है। उप परियोजना निदेशक/मास्टर ट्रेनर योगेन्द्र पाल योगी ने बताया कि पाठशाला में किसानों को कम लागत में अधिक उत्पादन लेने के बारे में विस्तार से बताया जाएगा। किसानों को फसल बुआई के समय प्रमाणित बीज प्रयोग करने, खेती के साथ साथ पशुपालन करने, मुर्गी पालन करने, सहफसली खेती करने, औषधि खेती करने, फसल बीमा तथा बीज संशोधन आदि के विषय में विस्तार से बताया जाएगा।किसान पाठशाला की तैयारी पूरी हो गई है। किसान पाठशाला का शुभारंभ मृदा दिवस के अवसर पर पांच दिसम्बर 17 को किया जाएगा। मास्टर ट्रेनरों ने ट्रेनरों को प्रशिक्षण दे दिया है। उन्हें उम्मीद है कि इस पहल से किसानों की आय बढ़ोत्तरी जरूर होगी, क्योंकि तमाम जानकारी किसानों को उनके द्वार पर मिलेगी। जेपी चौधरी, उप कृषि निदेशक
मास्टर ट्रेनर योगेन्द्र पाल योगी ने बताया कि किसान पाठशाला पहले चरण में पांच दिसम्बर से नौ दिसम्बर तक चलेगी। दूसरे चरण में पाठशाला 11 दिसंबर से 15 दिसंबर तक चलेगी। मास्टर ट्रेनर परिषदीय विद्यालयों में चलने वाली किसान पाठशाला में शाम को 3.30 बजे से 4.30 बजे तक किसानों को जानकारी देंगे।