यूपी बोर्ड हाईस्कूल व इंटरमीडिएट 2018 की परीक्षा कराने में जितनी तेजी दिखा रहा है, कालेजों में पढ़ाई के मामले में उतनी ही सुस्ती दिख रही है। इस बार छात्र-छात्रएं आधे-अधूरी पढ़ाई करके ही परीक्षा देने को मजबूर हैं। शिक्षकों के अनुसार स्कूलों में अभी आधा पाठ्यक्रम भी पूरा नहीं हो सका है। ऐसे में परीक्षार्थी ट्यूशन व कोचिंग संस्थानों की पढ़ाई के भरोसे हैं।
माध्यमिक शिक्षा परिषद यानी यूपी बोर्ड का शैक्षिक सत्र पहले जुलाई से मई तक चलता रहा है। पिछले कुछ वर्षो में इसे बदलकर अप्रैल से मार्च तक कर दिया गया है, लेकिन इस साल हुए विधानसभा चुनाव के कारण यूपी बोर्ड के छात्र-छात्रओं की पढ़ाई चौपट हो गई है। इसकी वजह बोर्ड परीक्षाएं मार्च से अप्रैल तक चलीं, लिहाजा सत्र फिर से जुलाई से ही शुरू हो सका। प्रदेश सरकार के निर्देश पर बोर्ड परीक्षाएं छह फरवरी से कराने का कार्यक्रम घोषित कर दिया गया है। बोर्ड के इतिहास में पहली बार इतना पहले परीक्षाएं शुरू हो रही हैं। सरकार व बोर्ड प्रशासन ने शैक्षिक सत्र नियमित करने का पूरा प्रयास किया है, लेकिन इसका खामियाजा परीक्षार्थियों को भुगतना पड़ेगा।
माध्यमिक शिक्षा के अफसरों के निर्देश हैं कि वर्ष में 234 दिन स्कूल खुलें और नियमित कक्षाएं चलें। इस आधार पर देखें तो जुलाई से अक्टूबर तक कुल 129 दिन स्कूल खुले, इनमें से महज 92 दिन ही किसी तरह से कक्षाएं चल सकी हैं। इसमें 37 दिन स्कूलों में अवकाश रहा है। शिक्षकों के अनुसार अधिकांश पाठ्यक्रम आधा भी पढ़ाया नहीं जा सका है। कुछ राजकीय, अशासकीय व निजी कालेजों में तो अतिरिक्त कक्षाएं चल रही हैं, लेकिन अधिकांश में इसका अभाव है।यूपी बोर्ड की लिखित व प्रायोगिक परीक्षाओं का कार्यक्रम इसीलिए तय समय से पहले घोषित किया गया है, ताकि शिक्षक व परीक्षार्थी दोनों इसकी तैयारियों में जुट जाएं। सरकार नकल विहीन परीक्षा कराना चाहती है इसके लिए जरूरी है कि पाठ्यक्रम अतिरिक्त कक्षाएं चलाकर पूरा किया जाए’ नीना श्रीवास्तव, सचिव यूपी बोर्ड11कालेजों में इस बार छुट्टियां घटने से पढ़ाई ज्यादा दिन हुई है, यह जरूर है कि पाठ्यक्रम अभी अधूरा है, शिक्षक इस कार्य में जुटकर हर परीक्षार्थी की तैयारी कराएंगे। इसके लिए उन्हें चाहे जिस तरह से कार्य करना पड़े।’ शैलेश पांडेय, शिक्षक माध्यमिक कालेज
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