लखनऊ : उत्तर प्रदेश में राज्य स्तरीय पात्रता परीक्षा (स्लेट) का आयोजन फिर से किया जाएगा। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) की तर्ज पर होने वाली इस परीक्षा को उत्तीर्ण करने वाले विद्यार्थियों को राज्य विश्वविद्यालयों व डिग्री कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर भर्ती के लिए योग्य माना जाएगा। इससे करीब एक लाख से अधिक विद्यार्थी लाभान्वित होंगे।
यूपी स्लेट का आयोजन करीब 18 साल पहले किया गया था। इधर फिर परीक्षा कराने पर विचार के लिए उच्च शिक्षा विभाग द्वारा लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एसपी सिंह की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया। इसी कमेटी ने परीक्षा कराने को हरी झंडी दे दी है। कमेटी में ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती उर्दू, अरबी-फारसी यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार एसके शुक्ला और बप्पा श्री नारायण पीजी कॉलेज के प्राचार्य डॉ. राकेश चंद्रा भी शामिल थे। कमेटी के सदस्य समन्वयक डॉ. राकेश चंद्रा ने बताया कि रिपोर्ट उच्च शिक्षा विभाग को सौंपी जा चुकी है और इसमें स्लेट करवाने को हरी झंडी दी गई है।
■ राज्य सरकार लेगी अंतिम निर्णय
■ एक लाख से अधिक विद्यार्थियों को फायदा
■ यूजीसी-नेट की तर्ज पर ही किया जाएगा आयोजन
उन्होंने बताया कि यूजीसी नेट की तर्ज पर ही इसे साल में एक बार आयोजित कराने की सिफारिश की गई है। कोई निगेटिव मार्किंग नहीं होगी। नेट में करीब 100 विषयों के विद्यार्थियों को शामिल किया जाता है, इसमें विषयों की संख्या क्षेत्रीयता को ध्यान में रखकर होगी। इसमें एशियन कल्चर जैसे विषय के विद्यार्थी भी शामिल हो सकेंगे।
नेट में लाइफ साइंस ही एक विषय है, लेकिन यूपी स्लेट में जंतु विज्ञान और वनस्पति विज्ञान अलग-अलग विषय होंगे। वहीं अर्थ साइंस की जगह इसमें भूगर्भ विज्ञान होगा। इसी तरह के सुझाव कमेटी द्वारा दिए गए हैं। इससे सूबे में पीजी पास विद्यार्थियों को एक बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। 1फिलहाल अब राज्य सरकार कमेटी की रिपोर्ट पर अंतिम निर्णय लेगी। मालूम हो कि वर्ष 1999 में पहली बार यूपी स्लेट का आयोजन उच्च शिक्षा विभाग ने करवाया था। उस समय कानपुर विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति प्रो. सर्वज्ञ सिंह कटियार ने इसे आयोजित किया था। ऐसे में 18 साल बाद यह दूसरी बार आयोजित होने जा रही है।
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