इलाहाबाद : परीक्षा केंद्रों के निर्धारण में जिला विद्यालय निरीक्षकों की मनमानी उनके लिए घातक साबित होगी। शिक्षा माफिया के स्कूलों को केंद्र निर्धारण में राजकीय व अशासकीय कालेजों से अधिक तवज्जो देने की प्रदेश भर से आ रही शिकायतों पर माध्यमिक शिक्षा परिषद उप्र ने अब ‘डैमेज कंट्रोल’ करना शुरू कर दिया है। इंजीनियरों की एक टीम लगाकर साफ्टवेयर में कहीं चूक की संभावना तलाशी जाने लगी है तो वर्षो से केंद्र बन रहे विद्यालयों की छंटनी बिना किसी आधार के करने वाले जिला विद्यालय निरीक्षकों पर बोर्ड की तलवार भी चलेगी।
परीक्षा केंद्र निर्धारण को लेकर सूबे में तस्वीर इसलिए बदली है क्योंकि जिलों में जिला विद्यालय निरीक्षकों ने अपने कुछ कारिंदों के माध्यम से बोर्ड को डाटा खुद ही मुहैया कराने का प्रचार किया और स्कूल संचालकों की गणोश परिक्रमा करवाकर अपने मकसद में सफल हो गए। यही वजह रही कि प्रदेश भर में 3361 परीक्षा केंद्रों की छंटनी में उन विद्यालयों के भी नाम हैं जिनकी जिलों में अच्छी साख है। यूपी बोर्ड में प्रदेश के कई जिलों से इसकी शिकायतें आनी शुरू हो गई जिस पर बोर्ड ने पहले ही निर्णय लिया कि आपत्तियों का निस्तारण 20 नवंबर तक डीएम स्तर पर उसके बाद नवंबर के अंतिम सप्ताह में यूपी बोर्ड के स्तर पर करके परीक्षा केंद्रों की अंतिम सूची जारी की जाएगी।
उधर, बोर्ड परीक्षा केंद्रों को लेकर उठे सवालों से बचने के लिए यूपी बोर्ड ने अब ‘डैमेज कंट्रोल’ करना शुरू कर दिया है। सूत्र बताते हैं कि साफ्टवेयर की जांच इंजीनियरों से कराई जा रही है कि कहीं तकनीकी गड़बड़ी से तो ऐसा नहीं हुआ? वहीं बोर्ड की सचिव नीना श्रीवास्तव कहती हैं कि जिन विद्यालयों के साथ अन्याय हुआ है उसके दोषी जिला विद्यालय निरीक्षकों पर कार्रवाई भी होगी।
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