यूपी बोर्ड के 25 हजार माध्यमिक कालेजों का पाठ्यक्रम नए शिक्षा सत्र से बदलना है। इसके लिए पाठ्यक्रम में बदलाव के साथ ही एनसीईआरटी से करार आदि की कार्रवाई पूरी हो चुकी है। अब इस अहम योजना को धरातल पर उतारना सबसे बड़ी चुनौती है। इस पर मंथन के लिए शासन व बोर्ड के अफसर मंगलवार को चर्चा करेंगे।
प्रदेश की भाजपा सरकार एक समान पाठ्यक्रम को अमलीजामा पहनाने की तैयारी में है। जुलाई व अगस्त में यूपी बोर्ड के हाईस्कूल व इंटरमीडिएट के पाठ्यक्रम को बदलने के लिए पाठ्यचर्या समितियों की बैठकें हुईं। अपर मुख्य सचिव माध्यमिक शिक्षा संजय अग्रवाल व यूपी बोर्ड की सचिव नीना श्रीवास्तव ने इस संबंध में नई दिल्ली जाकर एनसीईआरटी के अफसरों से चर्चा किया और पाठ्यक्रम अपनाने का करार तक किया जा चुका है। एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम अपनाने व उसे लागू करने की पहल उत्तराखंड व झारखंड में पहले ही हो चुका है। वहां किस तरह से विद्यालयों को किताबें उपलब्ध गईं आदि का मॉडल देखने के लिए बोर्ड के अफसर दोनों राज्यों में भेजे गए। कुछ दिन पहले ही वह वहां से लौटे हैं। इस बीच बोर्ड ने पुस्तकों के प्रकाशन के लिए 26 प्रकाशकों को किताबें उपलब्ध कराने पर विचार करने के लिए बुलाया है। मंगलवार को लखनऊ में इस पर विस्तार से चर्चा होगी। साथ ही दोनों राज्यों में चल रहे प्रयोग को भी बताया जाएगा। यूपी बोर्ड ने पहले दिसंबर माह में ही किताबें उपलब्ध कराने की तैयारी की थी, लेकिन जिस तरह से प्रकाशकों की बैठक बुलाने में विलंब हुआ उससे दिसंबर में बाजार में किताबें आ पाना संभव नहीं है, लेकिन शासन का यह निर्देश जरूर है कि अप्रैल में सत्र शुरू होने के पहले किताबें हर हाल में बाजार में आ जाएं। पिछले वर्षो में सत्र शुरू होने के कई माह बाद किताबें उपलब्ध होने से इसलिए फर्क नहीं पड़ा कि पाठ्यक्रम पहले से चल रहा था। शिक्षकों ने वही पढ़ाई जारी रखी, लेकिन जब पाठ्यक्रम बदल रहा है तो कक्षा 9 व 11 में पहले से किताबें मुहैया होना जरूरी है। बोर्ड सचिव नीना श्रीवास्तव ने बताया कि शासन के साथ बैठक होने के बाद इस पर मुहर लग जाएगी।
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