जनता की राय से कसेंगे निजी स्कूलों पर नकेल, मात्र 5 फीसद शुल्क प्रति वर्ष बढ़ा सकने की मिलेगी अनुमति।
हर निजी स्कूल अपनी फीस का लेखाजोखा 31 दिसम्बर तक अपनी वेबसाइट पर अपलोड करेगा। वहीं निजी स्कूल की मनमानी पर नकेल कसने के लिए अभिभावकों और आम जनता की राय भी ली जाएगी। निजी स्कूलों पर शिकंजा कसने के लिए बन रहे विधेयक का प्रस्तुतीकरण मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने किया गया। मुख्यमंत्री ने इसमें कई उपयोगी सुझाव दिए हैं।
अल्पसंख्यक संस्थानों जैसे मिशनरी अंग्रेजी स्कूलों आदि पर यह कानून लागू नहीं होगा। माध्यमिक शिक्षा विभाग चुनाव आयोग से अनुमति लेने के बाद इस पर जनता की राय मांग सकता है। इसे उत्तर प्रदेश स्ववित्तपोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क का विनियमन) विधेयक 2017 का नाम दिया गया है।इस कानून में इसमें 20 हजार रुपये से ज्यादा वार्षिक शुल्क लिए जाने वाले स्कूल शामिल होंगे। छात्रों से ली जाने फीस का अधिकतम 15 फीसदी खर्च स्कूल के विकास कार्यों में किया जा सकता है। छात्रों से कैपिटेशन फीस नहीं ली जा सकेगी। वहीं केवल 5 फीसदी फीस ही बढ़ाई जा सकेगी।
बढ़ी हुई फीस स्कूल के आय-व्यय अनुपात से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। वित्तविहीन स्कूलों की मनमानी फीस वसूली के मंडल आयुक्त के यहां शिकायत होगी। मंडल आयुक्त की अध्यक्षता में गठित कमेटी शिकायत की जांच करेगी और दोषी पाए जाने पर स्कूल पर एक लाख रु. का जुर्माना लगेगा। इसके साथ ही वसूली गई ज्यादा फीस लौटानी होगी। दूसरी बार दोषी पाए जाने पर फीस लौटाने के साथ स्कूल पर पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। तीसरी बार दोषी पाए जाने पर स्कूल की उनकी मान्यता रद्द करने के लिए संबंधित बोर्ड से सिफारिश की जाएगी।
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