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Sunday, November 26, 2017

गोरखपुर के आराजी बसडीला का प्राथमिक विद्यालय हुआ 'स्मार्ट', एक पहल ने बदल दी स्कूल की सूरत, वाई-फाई और साउंड सिस्टम भी

...और बढ़ गए छात्र 

बच्चों को प्रॉजेक्टर के जरिए पढ़ाया जा रहा है। वहीं यहां पर हर महीने टेस्ट और बच्चों के विकास के लिए विशेष आयोजन किए जाते हैं।
स्कूल में पहले 57 बच्चों के नाम लिखे थे और 10 से 12 बच्चे ही स्कूल आते थे। लेकिन अब सूरत बदलने के बाद आसपास के लोगों में शिक्षा का रुझान बढ़ा है। वर्तमान में स्कूल में बच्चों की संख्या 150 है। रोजाना 110 से 120 बच्चें स्कूल आ रहे है।

हर माह टेस्ट, सम्मान : हर महीने स्कूल में बच्चों का टेस्ट लिया जाता है। बेहतर प्रदर्शन करने वाले बच्चों को शिक्षकों की ओर से सम्मानित किया जाता है। साथ ही कला प्रतिायोगिता, निबंध प्रतिायोगिताएं भी आयोजित की जाती हैं।

स्कूल में छात्र-छात्राओं की शिक्षा के लिए स्मार्ट क्लास की व्यवस्था की गई है। स्मार्ट क्लास के तहत प्रॉजेक्टर, वाई-फाई, साउंड सिस्टम, व लैपटॉप की व्यवस्था की गई है। आशुतोष कुमार सिंह ने बताया कि एक दिन में तीन क्लासों में एनसीईआरटी की ऑनलाइन वेबसाइट का इस्तेमाल कर छात्र-छात्राओं को पढ़ाया जाता है। हिंदी व अग्रेंजी की कविताएं भी याद करवाई जाती हैं।

आशुतोष कुमार सिंह
सैलरी से सहयोग कर टीचरों ने स्कूल में लगवाए प्रॉजेक्टर

गोरखपुर के पिपरौली ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय कॉन्वेंट स्कूलों को टक्कर दे रहा है। आईजी मोहित अग्रवाल की पहल ने प्राथमिक विद्यायल का नक्शा बदल डाला था। लेकिन यह सिर्फ अकेली पहल नहीं बल्कि गोरखपुर के ही पिपराइच के आराजी बसडीला के प्राथमिक विद्यालय में भी ऐसी पहल की गई है। 

 वहां शिक्षकों ने अपनी सैलरी से पूरे विद्यालय को बदल दिया है। स्कूल में प्रॉजेक्टर और वाई-फाई की व्यवस्था कर स्मार्ट क्लास बनाई गई हैं। हेडमास्टर आशुतोष कुमार सिंह ने बताया कि इन सब कामों में सब मिलाकर डेढ़ लाख रुपये खर्च हुए हैं। सभी शिक्षकों ने अपनी सैलरी से इस काम में योगदान दिया है। युवा शिक्षकों की इस लगन को देखकर उनके दोस्तों ने भी इस काम में योगदान दिया।

 आशुतोष कुमार सिंह ने बताया कि 2 जुलाई 2016 को उन्होंने इस विद्यालय में बतौर हेडमास्टर जॉइन किया था। उस समय यहां की स्थिति काफी खराब थी। विद्यालय में लिखित में 57 बच्चों का एडमिशन था। जिसमें से 10 से 12 बच्चे ही आते थे। इसके बाद स्कूल की सूरत बदलने के लिए शिक्षकों से बात की। उन्होंने बताया कि अन्य चार शिक्षकों अर्चना सिंह, श्यामा रानी गुप्ता, संयोगिता सिंह और मोनिका श्रीवास्तव सभी ने इस पहल के लिए हामी भरी। सभी शिक्षक बिना किसी सहारे के अपने पैसों से स्कूल की सूरत बदलने में लग गए। स्कूल के कायाकल्प में खर्च हुये डेढ़ लाख रुपये में 70 हजार रुपये का योगदान हेडमास्टर आशुतोष कुमार सिंह ने किया है। वहीं अन्य चार शिक्षकों अर्चना सिंह, श्यामा रानी गुप्ता, संयोगिता सिंह और मोनिका श्रीवास्तव ने दस-दस हजार रुपये की आर्थिक मदद की है। 

 इन शिक्षकों की पहल के बाद से स्कूल में छात्र-छात्राओं के बैठकर पढ़ने के लिये बेंच, हरी कालीन की व्यवस्था है। दीवारों का रंग-रोगन करवाया गया है। वाइट बोर्ड की व्यवस्था की गई है। दीवारों पर छात्र-छात्राओं के लिए दीवारों पर स्लोगन व टेबल लिखे हैं।

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