परीक्षा केंद्र निर्धारण में बड़े कालेजों की अनदेखी के ऐसे तमाम उदाहरण लगभग हर जिले में भरे पड़े हैं। यह हाल तब है जब शासन ने कालेजों की धारण क्षमता का भरपूर उपयोग करके कम से कम कालेजों को केंद्र बनाने का निर्देश दिया था, अधिक कमरे व बेहतर संसाधन वाले कालेजों की अनदेखी इसलिए हुई, क्योंकि इनकी जगह पर बड़ी संख्या में निजी कालेज को थोड़े-थोड़े परीक्षार्थी आवंटित करके खुश कर दिया गया। जिला विद्यालय निरीक्षकों ने निर्देशों का पालन सही से नहीं किया, वरना केंद्रों की संख्या और कम हो जाती।
■ प्राइमरी का मास्टर ● कॉम का एंड्राइड एप
की परीक्षा में हर जिले में ऐसे कालेज हैं, जो सख्ती से इम्तिहान कराने के लिए चर्चित हैं। निजी कालेज संचालक इसका पूरा जतन करते रहे हैं कि ऐसे कालेजों में उनके यहां के परीक्षार्थी न जाने पाएं, इस बार यह मिथक टूटने की पूरी उम्मीद थी, लेकिन जिला विद्यालय निरीक्षकों की अनदेखी से यह परिपाटी अब तक बरकरार है। इस बार कंप्यूटर से बने परीक्षा केंद्र बनने से पहले संबंधित कालेजों से विद्यालय में उपलब्ध संसाधन, धारण क्षमता आदि की सारी सूचनाएं दर्ज कराई गईं। इसी के साथ कालेजों को यह भी निर्देश था कि वह अपने पांच किलोमीटर के दायरे के उन कालेजों का विकल्प भी भरें, जहां उनका परीक्षा केंद्र बनना चाहिए। कालेज संचालकों ने इस कार्य में पूरी छानबीन करके ऐसे कालेजों का ही विकल्प भरा जो उनको ‘सहूलियत’ दे सकते थे। इससे अधिक कमरे वाले कालेज केंद्र सूची के बाहर हो गए। 1
शासन ने कालेजों की मनमानी रोकने के लिए जिला विद्यालय निरीक्षकों से सत्यापन रिपोर्ट भरवाई। इसका मकसद यही था कि यदि कालेजों ने सही विकल्प नहीं दिया है तो वह अपनी रिपोर्ट में ऐसे कालेजों का जिक्र जरूर करें, लेकिन कुछ प्रकरणों को छोड़कर जिला विद्यालय निरीक्षकों ने कालेजों की रिपोर्ट पर भरोसा जताया। इसीलिए केंद्र निर्धारण में कुछ दागी कालेजों के शामिल होने और अधिक संख्या में निजी कालेज केंद्र बनने से बोर्ड प्रशासन की किरकिरी हुई। अब फिर अपर मुख्य सचिव माध्यमिक शिक्षा संजय अग्रवाल ने कहा है कि आपत्तियों का निस्तारण करने में गलतियों को सुधारा जाना चाहिए। संभव है कि अंतिम सूची जारी में कुछ उलटफेर हो सकता है।’ शिक्षा महकमे के चर्चित निदेशक रहे वासुदेव यादव का 39 कमरे वाला उर्मिला देवी इंटर कालेज परीक्षा केंद्रों की सूची से बाहर है। पांच किलोमीटर दायरे के स्कूलों ने उसका विकल्प ही नहीं भरा। 1’ लखनऊ के निगोहां में मुख्य मार्ग पर स्थित सत्य नारायण तिवारी इंटर कालेज का विशालकाय भवन भी केंद्रों की सूची में जगह नहीं बना पाया है, जबकि उससे कुछ दूरी के विद्यालय केंद्र बने हैं।
आसपास के कालेजों की अनदेखी को जिला विद्यालय निरीक्षकों ने भी छोड़ा
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