यूपी बोर्ड ने प्रदेश के तीन हजार विद्यालयों को परीक्षा केंद्र सूची से बाहर कर दिया है। पिछले वर्षो में यह विद्यालय परीक्षा केंद्र बनते आए हैं। बोर्ड मुख्यालय ने बुधवार को वेबसाइट पर परीक्षा केंद्रों की अनंतिम सूची जारी दी है। इसमें कई नए कालेजों को केंद्र बनने का मौका भी मिला है। यह सारा उलटफेर विद्यालयों में उपलब्ध संसाधनों के आधार पर हुआ है।
माध्यमिक शिक्षा परिषद यानी यूपी बोर्ड ने 2018 की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट परीक्षा के लिए केंद्रों का निर्धारण पूरा कर लिया है। इस बार कंप्यूटर के जरिए परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं। इसके लिए पांच दिन से प्रक्रिया चल रही थी। परीक्षा में नकल पर कड़ाई से अंकुश लगाने के लिए राजकीय व अशासकीय विद्यालयों को ही परीक्षा केंद्र बनाने के निर्देश थे, अपरिहार्य स्थिति में निजी कालेजों को मौका दिया गया है। इसीलिए जहां 2017 की परीक्षा में 11414 विद्यालय परीक्षा केंद्र बने थे, वहीं इस बार यह संख्या घटकर लगभग 8500 रह गई है। सूबे के हर जिले में बड़े पैमाने पर केंद्र निर्धारण में कटौती हुई है। कुछ जिलों में तो 400 तक केंद्रों की संख्या घटाई गई है। यूपी बोर्ड की सचिव नीना श्रीवास्तव ने बताया कि परीक्षा केंद्रों की अनंतिम सूची वेबसाइट पर जिलावार अपलोड कर दी गई है। केंद्र निर्धारण के साथ ही जिला विद्यालय निरीक्षकों व मंडल के संयुक्त शिक्षा निदेशकों से इस बावत तत्काल रिपोर्ट भी ली गई। 130 को परीक्षा केंद्रों की अंतिम सूची : बोर्ड सचिव ने बताया कि 27 नवंबर को सभी जिलों से आपत्ति निस्तारण की रिपोर्ट मिलने के बाद पांचों क्षेत्रीय कार्यालय के सचिव व बोर्ड की केंद्र निर्धारण समिति आपत्ति निस्तारण पर विचार करेगी यह प्रक्रिया तीन दिन तक प्रस्तावित है। प्रयास है कि 30 नवंबर को परीक्षा केंद्रों की अंतिम सूची जारी कर देंगे।
आगरा मंडल में कम हो गए 390 परीक्षा केंद्र1राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : यूपी बोर्ड ने 2018 की परीक्षा के पहले चरण में ही नकल माफिया पर शिकंजा कस दिया है। एक ओर जहां राजकीय व अशासकीय उन विद्यालयों पर बोर्ड मेहरबान हुआ है, जिनकी धारण क्षमता अधिक थी, वहीं बड़े व संवेदनशील जिलों में केंद्रों की संख्या कम करने में कोई कोताही नहीं बरती गई है। यही वजह है कि आगरा जैसे मंडल में पिछले वर्ष की अपेक्षा इस बार 390 केंद्र घटे हैं। खास बात यह है कि इस बार परीक्षार्थी सात लाख बढ़े हैं, फिर भी केंद्र कम हो गए हैं। 1यूपी बोर्ड की परीक्षाओं में पिछले वर्ष तक परीक्षा केंद्रों के निर्धारण में ही गड़बड़ी होने के सबसे अधिक आरोप लगते रहे हैं, इसकी वजह केंद्र तय करने का कार्य जिलों में होता रहा है। चहेते विद्यालयों के केंद्र बन जाने पर बोर्ड प्रशासन परीक्षा में नकल रोकने पर चाहकर भी अंकुश नहीं लगा पा रहा था, बल्कि नकल माफियाओं के आगे वह बार-बार नतमस्तक हुआ है। इसीलिए इस बार केंद्र निर्धारण नीति में अहम बदलाव हुआ, जिसका असर भी दिखने लगा है। कई जिलों में पिछले वर्ष के मुकाबले परीक्षा केंद्रों की संख्या में बड़ी कमी आयी है, तमाम जिले ऐसे भी हैं जहां केंद्रों की संख्या घटकर आधी रह गई है।
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