यूपीपीएससी से होने वाली भर्तियों की सुचिता अब भी ताख पर उम्मीदसूबे को जल्द मिल जाएंगें चार हजार से अधिक अभियंता
उप्र लोक सेवा आयोग के शुद्धिकरण का दावा प्रदेश शासन तो कर रहा है और वास्तव में शासन की यही मंशा भी है लेकिन, अशुद्धियों की छाप आयोग पर अब भी लगी है। बैकलॉग के रिजल्ट जारी करने में ही आयोग ने प्रतियोगी छात्रों की सराहना बटोरी जबकि पीसीएस (प्रारंभिक) परीक्षा 2017 के लिए गठित विशेषज्ञ टीम पर उठी अंगुली, उत्तर कुंजी जारी करने व नए वर्ष का परीक्षा कैलेंडर बनाने में लेटलतीफी के चलते आयोग प्रतियोगी छात्रों के भरोसे पर खरा नहीं उतर रहा है।
परीक्षा कैलेंडर की अनियमितता : नवंबर का आखिरी सप्ताह शुरू हो चुका है। 2018 के परीक्षा कैलेंडर की आयोग से अभी प्रतियोगी छात्रों को कोई जानकारी नहीं मिल सकी है। छात्र इस पशोपेश में हैं कि पीसीएस और लोअर सबऑर्डिनेट सहित अन्य बड़ी परीक्षाओं की तैयारी किस ‘टाइम लाइन’ से करें। कुछ छात्रों का तो यहां तक कहना है कि अक्सर तारीखें बदल दी जाती हैं इसलिए परीक्षा कैलेंडर से कोई लाभ भी नहीं मिलता।
सीबीआइ जांच को पथराई आंखें : सूबे में सत्ता परिवर्तन के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सदन में 19 जुलाई को एलान किया था कि सपा शासन के पांच साल में आयोग से हुई सभी भर्तियों की सीबीआइ जांच कराई जाएगी। इस एलान से उन सैकड़ों प्रतियोगी छात्रों ने बेहद खुशी जताई थी जिन्होंने आयोग की भर्तियों में धांधली का आरोप लगाकर महीनों आंदोलन किया और उन पर लाठी से लेकर पुलिस की गोलियां तक चली थीं। अब चूंकि चार महीने बीत जाने पर भी सीबीआइ जांच का अता-पता नहीं है इसलिए प्रतियोगी छात्रों में आक्रोश की चिंगारी पुन: पनप रही है।
विशेषज्ञों पर सवाल : आयोग ने पीसीएस 2017 प्रारंभिक परीक्षा का प्रश्नपत्र विशेषज्ञों से बनवाया और इसकी उत्तर कुंजी जारी करने में 54 दिन लगा दिए। उस पर भी आयोग ने दोनों प्रश्न पत्रों में मिलाकर छह प्रश्नों को गलत मानते हुए स्वयं ही हटाया। इसके बाद जारी उत्तर कुंजी में प्रतियोगियों ने आठ उत्तरों को गलत ठहराया है। इससे विशेषज्ञों पर सवाल उठना लाजिमी है।रा
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