इलाहाबाद : यूपी बोर्ड के पाठ्यक्रम में वैदिक गणित को किसी विषय या पुस्तक में समाहित करने के बजाए अलग से किताब निकालने की तैयारी है। बोर्ड प्रशासन इस पर ऐसी पुस्तक तैयार करने पर मंथन कर रहा है, जो छात्र-छात्रओं के लिए उपयोगी हो सके। हालांकि इसके लिए अधिकृत पाठ्यक्रम मुहैया होने की अभी राह देखी जा रही है, साथ ही शोध विभाग को इस दिशा में कार्य करने को कहा गया है।
यूपी बोर्ड सीबीएसई के पाठ्यक्रम को अपनाने जा रहा है, लेकिन छात्र-छात्रओं को वैदिक गणित भी पढ़ाने की तैयारियां हैं, हालांकि माध्यमिक शिक्षा परिषद यानी यूपी बोर्ड के लिए यह पाठ्यक्रम नया नहीं है। 1992 में तत्कालीन कल्याण सिंह सरकार में वैदिक गणित को पाठ्यक्रम में शामिल किया था। इसको आत्मसात करने की वजह छात्र-छात्रओं को कठिन लगने वाले गणित विषय को आसानी से पढ़ाये जाने की तमाम विधियां रही हैं। उसी को अब फिर जोड़ने की तैयारी है।
इस संबंध में शासन ने निर्देश कर दिया है, लेकिन बोर्ड प्रशासन को नए सिरे से औपचारिक पाठ्यक्रम का इंतजार है, ताकि उसी दिशा में आगे बढ़ा जा सके। बोर्ड सूत्रों की मानें तो इसके लिए अलग किताब तैयार कराने पर मंथन हो रहा है, ताकि सीबीएसई का पाठ्यक्रम प्रभावित हुए बिना इसकी भी पढ़ाई चलती रहे। इसके लिए यूपी बोर्ड के शोध विभाग को कहा गया है। माना जा रहा है कि जल्द ही वैदिक गणित के पारंगत पाठ्यक्रम समितियों के सदस्यों को बुलाकर विमर्श शुरू होगा। यूपी बोर्ड ने 70 फीसद हिस्सा सीबीएसई के एनसीईआरटी का किताबों का लिया है, जबकि 30 फीसद पाठ्यक्रम बोर्ड में पहले से संचालित है। बोर्ड के अफसर अभी इस मुद्दे पर खुलकर नहीं कह रहे हैं।
■ सात विधियों का प्रयोग कर होगा जोड़, घटाना, गुणा व भाग आसानी से
वैदिक गणित के जन्मदाता स्वामी भारती कृष्ण तीर्थ ने ऐसे सूत्र बनाए जिनके जरिये बच्चों को बिना पहाड़ा पढ़े गणित का सवाल हल करने की कला आ जाती है। स्वामी तीर्थ ने सारे सूत्र संस्कृत में लिखे हैं, लेकिन उनमें से अधिकांश हंिदूी में भी उपलब्ध हैं। वैदिक गणित में सात विधियों का प्रयोग करके जोड़, घटाना, गुणा और भाग आसानी से किया जा सकता है। इसका सबसे अधिक लाभ प्रतियोगी परीक्षाओं में उठाया जा सकता है।
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