नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एजुकेशन के व्यवसायीकरण से एजुकेशन प्रभावित हो रही है। एजुकेशन की विश्वसनीयता और बेहतरीन मेरिट पर असर हो रहा है। डीम्ड यूनिवर्सिटी के बिना इजाजत के दूरस्थ शिक्षा चलाए जाने के मामले में दिए फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी की। यूजीसी की कार्य पद्धति पर भी सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाया।
जस्टिस एके गोयल की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि मौजूदा मामले को देखने से साफ है कि डीम्ड यूनिवर्सिटी के रेग्युलेशन में कमी उजागर हुई है। यूजीसी इस मामले को निपटने में पूरी तरह से फेल रही है। स्टडी सेंटर की सुविधाओं और अन्य बातों को कभी चेक नहीं किया गया और न ही सही तरह से मामले को परखा गया। इसी कारण मौजूदा मामले में 4 डीम्ड यूनिवर्सिटी में सीधे 2001 से 2005 के बीच के सेशन की तमाम दूरस्थ शिक्षा वाली इंजीनियनरिंग डिग्री को सस्पेंड करना पड़ा और 2005 के बाद की डिग्री को कैंसल किया गया।
पहला मामला तब उठा जब एक इंजीनियर को उड़ीसा लिफ्ट इरिगेशन कॉरपोरेशन लिमिटेड ने इंजीनियरिंग डिग्री के आधार पर प्रोमोशन देने से मना कर दिया था। डिपार्टमेंट ने कहा कि जेआरएन राजस्थान की डिग्री दूरस्थ शिक्षा के जरिए है। ये मान्या नहीं है। तब उक्त इंजीनियर ने उड़ीसा हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उड़ीसा हाई कोर्ट ने इंजीनियर के फेवर में फैसला दिया। दूसरा मामला पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट के सामने आया था। तब हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा गया कि जेआरएन और कुछ अन्य डीम्ड यूनिवर्सिटी द्वारा जारी डिग्री अवैध है। हाई कोर्ट ने डिग्री को अवैध करार दिया। इसके बाद दोनों हाई कोर्ट का मामला सुप्रीम कोर्ट के सामने आया। सुप्रीम कोर्ट ने उड़ीसा हाई कोर्ट के आदेश को खारिज कर दिया, जबकि पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है।
★ रेग्युलेशन मैकेनिज्म की जरूरत
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में डीम्ड यूनिवर्सिटी की अथॉरिटी ने नियमों को ताख पर रखा और एआईसीटीई को बाहर रखा। ऐसे में जरूरी है कि इन चीजों को देखने के लिए एक उचित मैकेनिज्म हो। भविष्य में डीम्ड यूनिवर्सिटी द्वारा जारी की जाने वाली डिग्री जो दूरस्थ शिक्षा के जरिए दी जाती हो, उस पर नजर रखने के लिए रेग्युलेशन मैकेनिज्म होना जरूरी है।
★ तीन सदस्यीय कमिटी रोडमैप बताए
अदालत ने कहा कि ऐसे में भारत सरकार को निर्देश दिया जाता है कि वह शिक्षा, छानबीन, प्रशासनिक और कानूनी जगह के लोगों की तीन सदस्यीय कमिटी बनाएं इसके लिए एक महीने का वक्त दिया गया है। इसके बाद कमिटी एक रोड मैप सुझाए कि कैसे डीम्ड यूनिवर्सिटी का रेग्युलेशन किया जाए। ये सुझाव छह महीने में दिया जाए और फिर सरकार उस सुझाव पर अपनी रिपोर्ट कोर्ट के सामने 31 अगस्त 2018 तक पेश करे। अदालत ने अगली सुनवाई 11 सितंबर 2018 तय की है।
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