रायपुर : आम तौर पर सरकारी स्कूलों की छवि ठीक नहीं मानी जाती। यही वजह है कि अभिभावक अपने बच्चों को यहां पढ़ाने से कतराते हैं। पब्लिक स्कूलों को तरजीह दी जाती है। आमजन की इस धारणा को बदलने के लिए छत्तीसगढ़ के दो अफसरों ने अनूठी पहल की है। उन्होंने अपनी बेटियों का दाखिला सरकारी स्कूल में कराया है। इससे इन स्कूलों के शिक्षक तो उत्साहित हैं ही, स्कूल में पठन-पाठन का स्तर और बेहतर हो चला है।
सबसे पहले बात करते हैं आइपीएस डी. रविशंकर की। एसआइटी रायपुर में बतौर एसपी पदस्थ रविशंकर ने अपनी बिटिया दिव्यांजलि का दाखिला रायपुर स्थित एक सरकारी स्कूल में कराया। दिव्यांजलि इस समय दूसरी में पढ़ रही है। बदलाव की बयार की तरह दिव्यांजलि इस स्कूल में आई। उनके आने से स्कूल का माहौल ही बदल गया। दिव्यांजलि घर में भले ही वातानुकूलित परिवेश में रह रही हो लेकिन वह यहां पंखे वाले स्कूल में अन्य बच्चियों के साथ टाट-पट्टी पर बैठकर पढ़ाई करती है। मिड डे मील भी सबके साथ खाती है। आइपीएस की बेटी के स्कूल में दाखिला लेने के बाद यहां के दूसरे पालक भी गर्व महसूस कर रहे हैं। लोगों में स्कूल की शिक्षा गुणवत्ता को लेकर भी विश्वास जागा है। दिव्यांजलि एक भी दिन स्कूल मिस नहीं करती।
बलरामपुर के कलेक्टर अवनीश कुमार शरण ने इस तरह की पहल सबसे पहले की। अपनी बच्ची का दाखिला उन्होंने सरकारी स्कूल में कराया है। उनकी पांच वर्षीय बेटी बेबिका बलरामपुर मुख्यालय स्थित प्राइमरी स्कूल में पढ़ रही है।
■ विधायक भी पीछे नहीं: जशपुर जिले में पत्थलगांव से विधायक शिवशंकर साय पैकरा भी इसमें पीछे नहीं रहे। उन्होंने अपनी दो बेटियों को सरकारी स्कूल में पढ़ाया और अब एक बेटे कार्तिकेय का भी दाखिला कराया है।
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