नई दिल्ली : उच्च शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने में जुटी सरकार ने फिलहाल तय मानकों को पूरा न करने वाले कालेजों पर ताला लगाने का फैसला लिया है। मानव संसाधन विकास मंत्रलय ने इसे लेकर देश भर के सभी कालेजों की जांच के निर्देश दिए है। मंत्रलय के पास हालांकि पहले से ही तय मानकों को पूरा किए बगैर संचालित हो रहे ऐसे कालेजों को लेकर ढेरों शिकायत लंबित है। इनमें ज्यादातर ऐसे मामले है जिनमें राज्य सरकारों की ओर कोई जवाब ही नहीं दिया गया।
■ देश भर के सभी कालेजों की होगी जांच, मंत्रलय ने दिए निर्देश
■ खराब गुणवत्ता और मानक पूरे न करने की शिकायतों पर उठाया कदम
मंत्रलय ने हाल ही इन शिकायतों के आधार पर कालेजों की जांच शुरू की, तो और भी कई चौंकाने वाली जानकारी सामने आई। हजारों ऐसे कालेज हैं, जहां पर्याप्त शिक्षक तो दूर छात्रों के बैठने के लिए कमरे भी नहीं हैं। देश में मौजूदा समय में वैसे भी करीब 40 हजार कालेज संचालित हो रहे हैं। इनमें सबसे अधिक कालेज उत्तर प्रदेश में हैं। इसके अलावा भी जिन राज्यों में सबसे अधिक कालेज हैं, उनमें महाराष्ट्र, कर्नाटक, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु और मध्य प्रदेश हैं। इनमें 75 फीसद कालेजों का संचालन निजी प्रबंधन के हाथों में है।
■ प्राइमरी का मास्टर ● कॉम का एंड्राइड एप
■ 400 बीएड कालेजों को बंद करने की सिफारिश :
एनसीटीई ने तय मानकों के तहत संचालित न होने वाले देश भर के करीब 400 बीएड कालेजों को बंद करने की सिफारिश की है। जांच टीम ने अपने निरीक्षण में ऐसे स्कूलों की वीडियोग्राफी भी कराई है।उच्च शिक्षा की गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं होगा। हमने देश भर के सभी कालेजों की जांच कराने के निर्देश दिए है। तय मानकों पर खरे न उतरने वाले कालेजों पर ताला लगेगा। हाल ही में हमने करीब 400 बीएड कालेजों को तय मानकों पर खरे न पाए जाने पर बंद करने की प्रक्रिया शुरू की है।- डॉ. सत्यपाल सिंह, केंद्रीय मानव संसाधन राज्य मंत्री
एक तरह की दुकानों में तब्दील हो गए उच्च शिक्षा संस्थानों के खिलाफ की ही जानी चाहिए, लेकिन बेहतर होगा कि उन्हें बंद करने के साथ ही सुधारने पर भी ध्यान दिया जाए। यह तब संभव होगा जब गड़बड़ी करने वाले शिक्षा संस्थानों को जवाबदेह बनाने के साथ उनकी सतत निगरानी की कोई ठोस व्यवस्था बनेगी। अभी ऐसा कोई सक्षम तंत्र न राज्यों के स्तर पर दिखता है और न ही केंद्र के स्तर पर जो छल कर रहे निजी शिक्षा संस्थानों की नकेल कस सके। यदि तमाम उच्च शिक्षा संस्थान बिना मानकों के चल रहे हैं तो इसका अर्थ है कि उनकी उस तंत्र से घालमेल है जिन पर मानक लागू कराने की जिम्मेदारी है। आखिर ऐसे संस्थान खुल ही कैसे गए जो मानक पूरा नहीं करते?
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