यूपी बोर्ड की 2018 की परीक्षा में केंद्र बनाने की व्यवस्था छिन जाने से जिला विद्यालय निरीक्षक असहज हैं, लेकिन वह चाहकर भी कुछ कहने व करने की स्थिति में नहीं हैं। मंगलवार को केंद्र निर्धारण की समीक्षा के लिए शासन ने वीडियो कांफ्रेंसिंग कराई। संवाद शुरू होते ही कई डीआइओएस ने निजी कालेजों को केंद्र बनाने पर शासन व बोर्ड मुख्यालय की घेराबंदी शुरू की और हर तरफ से सवाल उछलने लगे। शासन के अफसरों को इस स्थिति का पहले से ही अनुमान था, शायद इसीलिए वीडियो कांफ्रेंसिंग वाले कक्ष में बाकायदे कंप्यूटर व लैपटॉप लेकर दो दक्ष कंप्यूटर इंजीनियर भी बैठाए गए। जिस जिले का सवाल उठा तुरंत उसकी रिपोर्ट देखी जाने लगी। एक डीआइओएस ने जिस विद्यालय को सड़क किनारे व संसाधन से युक्त अच्छा राजकीय बताते हुए आपत्ति की कि उसे केंद्र नहीं बनाया गया है। इसकी जांच में निकला कि उन्हीं डीआइओएस ने उसकी धारण क्षमता महज 150 छात्र-छात्रओं की दी है। इसी तरह से मऊ के एक अशासकीय विद्यालय की जगह पड़ोस के निजी कालेज को केंद्र बनाने का सवाल उठा, उसकी जांच में सामने आया कि अशासकीय कालेज की धारण क्षमता महज 50 छात्र-छात्रएं लिखी गई है। 1राज्य ब्यूरो
No comments:
Write comments