हाईस्कूल की छात्र के अंक पत्र की गड़बड़ी आठ साल में भी ठीक न कर पाना माध्यमिक शिक्षा परिषद उप्र को भारी पड़ा है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माध्यमिक शिक्षा परिषद उप्र इलाहाबाद मुख्यालय और इसके क्षेत्रीय कार्यालय वाराणसी की कार्यप्रणाली की जांच का आदेश दिया है। कोर्ट ने यूपी बोर्ड के सचिव को चार हफ्ते में जांच रिपोर्ट पेश करने को कहा है। यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल ने कुमारी वंदना तिवारी की याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता आशीष कुमार ने बहस की। याचिका के अनुसार याची ने कस्तूरबा राजकीय बालिका इंटर कालेज देवरिया से वर्ष 2000 में हाईस्कूल की परीक्षा दी थी। एक अगस्त 2000 को उसे अंक पत्र प्राप्त हुआ जिसमें गृह विज्ञान के बजाए ड्राइंग विषय दर्ज था, जबकि याची ने ड्राइंग विषय लिया ही नहीं था। उसने सही अंक पत्र जारी करने की अर्जी दी। सुनवाई न होने पर उपभोक्ता फोरम में वाद दायर किया। फोरम ने यूपी बोर्ड मुख्यालय को सही अंक पत्र जारी करने और हर्जाना देने का भी निर्देश दिया। इसके बाद 27 फरवरी 2009 को याची को अंक पत्र दिया गया तो उस पर जन्म की तारीख दर्ज नहीं थी। इस पर याची ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर जन्म की तारीख के साथ अंक पत्र जारी करवाए जाने की मांग की। याचिका पर कोर्ट ने माध्यमिक शिक्षा परिषद उप्र इलाहाबाद से जवाब मांगा। जवाब न दिए जाने पर कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए परिषद सचिव को तलब किया। सचिव ने कोर्ट को बताया कि 2009 के फार्मेट में जन्म की तारीख का कॉलम नहीं था। इसलिए जन्म की तारीख नहीं दर्ज की गई। कोर्ट की फटकार के बाद माध्यमिक शिक्षा परिषद उप्र ने याची का सही अंक पत्र व प्रमाण पत्र कोर्ट में प्रस्तुत किया। इसे याची के अधिवक्ता को सौंप दिया गया। याचिका की अगली सुनवाई 12 दिसंबर को होगी।माध्यमिक शिक्षा परिषद उप्र के इलाहाबाद मुख्यालय और क्षेत्रीय कार्यालय वाराणसी की कार्यप्रणाली की जांच होनी चाहिए। साल तक सही अंक पत्र क्यों नहीं दिया जा सका, इसका यूपी बोर्ड ने कोई कारण नहीं बताया है।1-हाईकोर्ट
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