उच्च शिक्षा संस्थानों में योग्य शिक्षकों की कमी दूर करने के लिए प्रदेश सरकार राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) की तर्ज पर राज्य स्तरीय पात्रता परीक्षा (स्लेट) कराने की तैयारी में है। शासन की ओर से गठित कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर परीक्षा के आयोजन पर विचार चल रहा है। पड़ोसी राज्य उत्तराखंड समेत कई राज्यों में स्लेट पहले से कराया जा रहा है।
शासन ने स्लेट के औचित्य और जरूरत पर विचार करने के लिए लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एसपी सिंह की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की थी। इसमें रुहेलखंड विश्वविद्यालय बरेली के कुलपति प्रो. अनिल कुमार शुक्ल, ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती उर्दू- अरबी- फारसी विश्वविद्यालय लखनऊ के तत्कालीन कुलपति शैलेश कुमार शुक्ल व केकेवी डिग्री कॉलेज लखनऊ के प्राचार्य डॉ. रमेश चंद्रा को सदस्य बनाया गया था।
सूत्रों के अनुसार कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में स्लेट का आयोजन कराने की संस्तुति की थी। कमेटी ने इसके आयोजन में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की ओर से कराए जाने वाले नेट का ही पैटर्न अपनाने का सुझाव दिया है। साथ ही इसमें राज्य विश्वविद्यालयों में पढ़ाए जाने वाले सभी विषयों को शामिल करने की सिफारिश की है। शासन का उच्च शिक्षा विभाग कमेटी की रिपोर्ट पर विचार कर रहा है। इसमें अभी यह तय होना है कि परीक्षा के आयोजन की जिम्मेदारी किसे दी जाए?
दरअसल, प्रदेश के उच्च शिक्षा संस्थानों में शिक्षकों की भारी कमी है। बड़ी संख्या में खुले स्ववित्तपोषित डिग्री कॉलेजों को यूजीसी से तय मानकों के अनुरूप शिक्षक नहीं मिल पा रहे हैं। एक आकलन के मुताबिक प्रदेश में इस समय 25 हजार से ज्यादा नेट उत्तीर्ण करने वाले अभ्यर्थियों की जरूरत है।
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