प्रदेश सरकार ने समन्वित बाल विकास योजना के तहत बच्चों और गर्भवतियों के पोषक आहार वितरण में काबिज 'पंजीरी सिंडिकेट' को तोड़ने की तैयारी कर ली है। करीब पांच साल बाद अनुपूरक आहार के लिए नए सिरे से टेंडर किया जा रहा है। रेसिपी में बदलाव के साथ टेंडर को कई हिस्सों में परिवर्तित किए जाने के चलते शराब बनाने वाली कंपनियों का वर्चस्व इसमें टूट सकता है। बाल विकास एवं पुष्टाहार निदेशक राजेंद्र सिंह ने बताया कि 25 जनवरी तक फर्में ई-टेंडर के जरिए आवेदन कर सकेंगी।
प्रदेश में आंगनबाड़ी केंद्रों के जरिए 6 माह से 6 साल तक के बच्चों,
पांच साल बाद होगा अनुपूरक पुष्टाहार का ई-टेंडर, रेसिपी भी बदली
'एक्सटेंशन' का खेल
ट्रेडिंग कंपनियों या अजेंट के टेंडर में भाग लेने पर रोक लगा दी गई है।
अनुपूरक आहार के लिए मंडल स्तर पर ई-टेंडर का फैसला किया गया है। हालांकि कोई भी फर्म एक से अधिक मंडल में आवेदन कर सकती है, लेकिन हर मंडल में टेंडर अलग-अलग होगा। रेसिपी में दलिया के साथ ही पौष्टिक लड्डू भी जोड़े गए हैं। स्वयं सहायता समूह, महिला मंडल, ग्राम समुदाय और उत्पादकर्ता फर्में इसके लिए आवेदन कर सकती हैं। हालांकि बिचौलियों, डिस्ट्रीब्यूटर, डीलर, नॉन पंजीरी वितरण कराने वाली दागी संस्थाओं के आपूर्ति की समय सीमा पूरी हो गई तो उसके बाद एक्सटेंशन का खेल शुरू हो गया। अखिलेश सरकार ने कैबिनेट के जरिए एक बार मियाद बढ़ाई तो सिंडिकेट ने अफसरों के साथ साठ-गांठ कर आगे सीधे ही आपूर्ति की मियाद बढ़वानी शुरू कर दी। नई सरकार ने पहले से चल रही टेंडर प्रक्रिया तो रद कर दी लेकिन इस सरकार में भी फर्मों को तीन बार आपूर्ति के लिए एक्सटेंशन मिल गया।
गर्भवती और धात्री महिलाओं के साथ ही किशोरी बालिका सशक्तीकरण योजना के अंतर्गत किशोरियों को भी अनुपूरक आहार उपलब्ध करवाया जाता है। वर्ष 2013 में तीन साल के लिए इसका टेंडर हुआ था। शराब बनाने वाली कंपनी से जुड़ी फर्मों को इसका काम मिल गया। इस दौरान गुणवत्ता को लेकर इसकी दर्जनों शिकायतें हुई थीं। सबसे ज्यादा सवाल थे कि पंजीरी जानवरों तक के खाने लायक नहीं होती। जांच में यहां तक सामने आया है कि 20 लाख से अधिक फर्जी लाभार्थियों के नाम पर पंजीरी बांटी जा रही थी।
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