यूपी बोर्ड के 26 हजार से अधिक माध्यमिक विद्यालयों में नए सत्र से नया पाठ्यक्रम लागू होगा। प्रदेश सरकार ने यह बदलाव एक देश एक तरह की पढ़ाई के मकसद से किया है। वहीं, प्रतियोगी परीक्षाओं में एनसीईआरटी की किताबों से ही प्रश्न पूछे जाते हैं, ऐसे में यूपी बोर्ड से पढ़े प्रतियोगी पीछे न रहने पाएं भी अहम निर्णय की बड़ी वजह बनी है। बोर्ड के विशेषज्ञ बदलाव करते समय भी लगातार पाठ्यक्रम को अच्छा बताते रहे हैं, फिर भी पुराने पाठ्यक्रम का कुछ अंश ही बचा पाएं हैं, बाकी सब नया ही है।
यूपी बोर्ड में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद का पाठ्यक्रम लागू होना है। भाजपा सरकार के निर्णय के बाद बोर्ड प्रशासन ने जुलाई से सितंबर माह तक विषय विशेषज्ञों के साथ जुटकर यह कार्य पूरा किया है। एनसीईआरटी व शासन ने पाठ्यक्रम बदलाव के प्रस्ताव पर मुहर भी लगा दी है। अब पुस्तकों की उपलब्धता की तैयारी चल रही है। यूपी बोर्ड का पाठ्यक्रम बेहतर माना जाता रहा है लेकिन, बदलाव करने की बारी आई तो काफी कुछ एनसीईआरटी का सिलेबस ही स्वीकार किया गया है। सिर्फ चुनिंदा विषयों व अन्य का अहम हिस्सा करीब 30 प्रतिशत के लगभग पुराना पाठ्यक्रम रह गया है। उसमें भी कई संशोधन कर दिए गए हैं, उस लिहाज से वह भी नया ही हो गया है। बोर्ड प्रशासन की मानें तो समय के साथ पाठ्यक्रम में हर साल कुछ न कुछ नया अंगीकार करने का सिलसिला चला आ रहा है लेकिन, अब तक के इतिहास में यह सबसे बड़ा बदलाव है। जिसमें अधिकांश अपनाया गया है। विशेषज्ञों की मानें तो इंटरमीडिएट में विज्ञान व गणित में एनसीईआरटी व यूपी बोर्ड में काफी अंतर रहा है। छात्र-छात्रओं को नए तरह से पढ़ाई करनी होगी। इसी तरह से इंटर स्तर के अन्य विषय भी हैं। वहीं, हाईस्कूल स्तर पर काफी कुछ दोनों जगह साम्य रहा है। शिक्षकों को भी नए सत्र में पढ़ाने में अलग से मेहनत करनी होगी
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