परिषदीय विद्यालयों में शिक्षा को आसानी से ग्राह्य बनाने के लिए नित नए उपाय किए जा रहे हैं। इसी क्रम में कक्षा एक एवं दो के बच्चों के लिए पाठ्यक्रम, पाठ्यपुस्तक व लर्निग आउटकम के आधार पर एक्टिविटी कार्ड (गतिविधि कार्ड) तैयार किया जा रहा है। इस कार्ड को आकर्षक बनाया जाएगा, जिससे बच्चों को आसानी से समझ आ सके। आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित ऋषि वैली मॉडल की तर्ज पर इस नई व्यवस्था को तैयार किया जा रहा है। 18 से 22 दिसंबर तक लखनऊ के राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीइआरटी) के क्वालिटी सेल में कार्यशाला का आयोजन कर इस नई व्यवस्था पर मंथन किया गया। कार्यशाला में प्रदेश से कुल 14 लोगों ने भाग लिया, जिसमें सात लोग ऋषि वैली जाकर अध्ययन करने वाले दल में शामिल रहे हैं। इस कार्यशाला में एक्टिविटी कार्ड के प्रारूप पर चर्चा की गई। कार्ड को बनाने के लिए चार टीमें बनायी गई हैं। दो टीम कक्षा एक तथा दो टीमें कक्षा दो के हिन्दी व गणित विषय के आधार पर कार्ड तैयार करने के लिए लगायी गई थीं। इनमें से एक टीम गोरखपुर डायट के प्रवक्ता जयप्रकाश ओझा के नेतृत्व में बनायी गई थी। इसमें ब्रह्मपुर ब्लाक के शिक्षक अभय कुमार पाठक भी शामिल हैं।
एक्टिविटी कार्ड से यह होगा फायदा: हर कक्षा में बच्चों की मानसिकता का स्तर अलग-अलग होता है। शिक्षक द्वारा पढ़ाने पर सभी बच्चे नहीं सीख पाते। ऐसे में एक्टिविटी कार्ड उनके लिए काफी लाभदायक होगा। इससे रुचिपूर्ण शिक्षण को बढ़ावा मिलेगा तथा पाठ्यक्रमों की नीरसता को दूर भी किया जा सकेगा। प्रत्येक बच्चे को शिक्षण सामग्री उपलब्ध हो सकेगी। इस कार्ड का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि यदि किसी कारण से पाठ्य पुस्तक देर से मिली तो उनके पाठ्यक्रम के आधार पर तैयार एक्टिविटी कार्ड से बच्चे पढ़ाई जारी रख सकेंगे। पांच दिनों तक चली कार्यशाला में एक्टिविटी कार्ड बनाया गया है और इसे प्रिंट किया जा रहा है। जनवरी महीने में होने वाली दूसरे चरण की कार्यशाला में इसे अंतिम रूप दिया जाएगा। पायलट प्रोजेक्ट के आधार पर इसे इलाहाबाद, वाराणसी, बरेली, बदायूं, में लागू किया जाएगा।
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